लखनऊः पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा होने के बावजूद लोगों पटाखों की खूब बिक्री की और अच्छा खासा रुपया कमाया। लेकिन उनको क्या पता था कि पटाखे छुड़ाना कई बीमारियों से ग्रसित लोगों पर इसका विपरीति असर डालेगा।दीपावली त्योहार के दो दिन बाद भी दिल्ली में दमघोंटू हवा से लोगों को राहत नहीं मिली है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च ;सफर, द्वारा शनिवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार राजधानी की हवा (गंभीर श्रेणी) में बनी है। उधर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 533 दर्ज किया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली त्योहार के बाद हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई, जो शुक्रवार की सुबह (खतरनाक) श्रेणी में थी। पटाखों ने दिल्ली की हवा में विष घोलने का काम किया है। इसी से कोहरे की एक मोटी चादर बिछी हुई है। कई लोग गले में खराश और आंखों से पानी आने की शिकायत किया।
वायु गुणवत्ता सूचकांक या एक्यूआई का उपयोग सरकारी एजेंसियों जैसे कि सफर द्वारा जनता को यह बताने के लिए किया जाता है कि वर्तमान में हवा कितनी प्रदूषित है या इसके कितने प्रदूषित होने का अनुमान है। भारत में 401-500 और उससे अधिक के एक्यूआई को (गंभीर) श्रेणी में रखा गया है। इस तरह की हवा से लोगों के स्वस्थ पर भी खतरनाक श्वसन (सांस लेना) प्रभाव होना लगभग निश्चित है। फेफड़े से जुड़ी समस्या के शिकार या हृदय रोग वाले मरीजों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराता है। इसके प्रभावों का अनुभव कम शारीरिक गतिविधि के दौरान भी किया जा सकता है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि दीपावाली की रात दिल्ली.एनसीआर में हवा की गुणवत्ता (गंभीर) श्रेणी में पहुंच गई जिससे लोगों को सांस लेने शुद्व हवा नहीं दे सका। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि दीपावाली की रात द्वारका.सेक्टर 8, पंजाबी बागए वजीरपुर, अशोक विहार, आनंद विहार और जहांगीरपुरी में पीएम 10 का स्तर 800 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 1,100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच था।
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