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हनुमान जी को "अजर-अमर" होने का वरदान प्राप्त है |
पुराणों में उल्लेख है कि हनुमान जी सात अमर पुरुषों में से एक हैं। "अजर-अमर" होने का वरदान प्राप्त है। भक्ति के माध्यम से अमरत्व प्राप्त किया रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने स्वयं हनुमान जी को वरदान दिया कि जब तक इस सृष्टि में रामकथा का प्रचार होगा, तब तक तुम जीवित और सदा पूज्य रहोगे तुम्हारा यश अमर रहेगा। हनुमान जी का अमरत्व इसलिए भी आवश्यक है ताकि वे कलियुग में धर्म की रक्षा कर सकें, सच्चे भक्तों की सहायता कर सकें और पापियों का नाश कर सकें। हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गए और अशोक वाटिका में उनसे मिले, तब माता सीता ने प्रसन्न होकर उन्हें यह अमरता का वरदान । भगवान श्रीराम और सीता जी ने उन्हें युगों तक जीवित रहने का आशीर्वाद दिया। हनुमान जी की श्रीराम के प्रति निष्काम भक्ति और समर्पण अतुलनीय है। यह भी माना जाता है कि वे आज भी पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं, परंतु सामान्य जन उन्हें नहीं पहचान सकते।
विभिन्न देवताओं से हनुमान जी को अद्भुत वरदान प्राप्त हुए थे:
इंद्र ने उन्हें वज्र जैसी दृढ़ देह का वरदान दिया।
अग्नि ने उन्हें न जलने का वरदान दिया।
वरुण ने जल में न डूबने का वरदान दिया।
वायु नेअसीम गति और बल का वरदान दिया।
इन वरदानों ने उन्हें नाशरहित और अजर-अमर बना दिया।
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