मोटे अनाजों में छिपा है पोषण का खजाना, जिन्हें अब 'श्री अन्न' के नाम से जाना जाएगा
मोटे अनाज स्वास्थ्य और पोषण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए आज मोटे अनाजों को सुपरफूड और पोषक अनाज कहा जा रहा है। बाजरा जैसे मोटे अनाज को भविष्य का अनाज तक कहकर संबोधित किया जा रहा है
भारत के लगभग 21 राज्यों में विभिन्न मोटे अनाजों की खेती की जाती है। जबकि विश्व के 131 देशों में किसी न किसी रूप में मोटे अनाजों की खेती होती है।
मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है।
सरकार इस दिशा में कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इसका प्रमुख उद्देश्य लोगों में मोटे अनाजों के प्रति जागरूकता पैदा हो और किसान मोटे अनाज की खेती की ओर आगे बढे। भारत में मोटे अनाज को किसानों द्वारा भुला दिया गया था अब किसानों को मोटे अनाजों को उगाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है, जिससे मोटे अनाज खेत से आम आदमी की थाली मैं आ सकें।
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