3 नए कृषि कानूनों के विरोध में विगत 3 माह से ज्यादा से चले आ रहे किसानों का आंदोलन के बाद भी सरकार अपने अड़ियल रवैए पर तुली हुई है। इस बीच किसानों के आंदोलन को दबाने और खत्म कराने के लिए कई तरह के कुचक्र रचे गए हैं, लेकिन किसानों को जो नहीं चाहिए वह देने के लिए सरकार तुली हुई है। सरकार अपने दो तीन साथियों को फायदा पहुंचाने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है। इस कार्य में किसानों के आंदोलन के चलते सरकार नाकाम साबित हो रही है। अपनी साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए किसानों पर और जुल्म ढहाने की पूरी संभावना है। इसलिए किसान दिल्ली कूच के लिए ट्रैक्टर तैयार रखें, क्योंकि कभी भी दिल्ली पहुंचना पड़ सकता है।
भारतीय नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान की जमीन कंपनियां लूटना चाहती हैं। भूख पर कारोबार करने के लिए तुली हुई है। जमीन बचाने का के खातिर आंदोलन जिंदा रखना होगा। देश में हल क्रांति होगी। खेत में इस्तेमाल होने वाले औजारों से लड़ाई होगी। वह सहारनपुर में नागल रोड स्थित लाखन और गांव में रविवार को महापंचायत में अपनी बात वह सहारनपुर में नागल रोड स्थित लाखनौर गांव में रविवार को महापंचायत में अपनी बात रख रहे।
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीनों कानून वापस लेने ही होंगे नहीं तो 40 लाख ट्रैकरों से आंदोलन किया जाएगा। सरकार ने किसान की पगड़ी उछालने और भावना भड़काने का काम किया है। इसको हम सब किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए किसान हर वह आंधी से लड़ जाएगा जो किसानों की जमीन उड़ाने के लिए चलाई जाएगी।
यहां यह बता दें कि भीषण ठंड में और वाटर कैनन के सााथ ही आंसू गैस के गोले भी किसान संगठनों ने बर्दाश्त किया है। 3 नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच 12 दौर की वार्ता हो चुकी है। लगभग ढाई सौ किसानों ने अपनी शहादत दी है। इसके बाद भी निर्दय सरकार के कान में जूं तक नहीं रहना है। आब तो सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता भी बंद हो गई है। दिल्ली बॉर्डर पर 3 माह से अधिक बीतने को है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों से बात करने का समय नहीं मिला है। दूसरी तरफ 4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव को लेकर पूरा बीजेपी का अमला लगा हुआ है, लेकिन किसानों की समस्या को कोई सुनने वाला नहीं है।

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