शुल्क प्रतिपूर्ति और स्कॉलरशिप उस समय शुरू की गई थी जब देश ने गरीबी थी, लेकिन उस समय की सरकार की नियत साफ थी। सरकार का मानना था कि धन के अभाव में गरीबों के मेधावी बेटा-बेटी डॉक्टर इंजीनियर बनने में कोई बाधा न आए इसलिए छात्रवृत्ति, छात्रवेतन और मानदेय योजना को अमलीजामा पहनाया गया था।
वित्त वर्ष 2021 के बजट में चालू वित्त वर्ष के मुकाबले छात्रवृत्ति और छात्रवेतन में बड़ी कटौती का प्रस्ताव है। वाहनों की खरीद, पेट्रोल डीजल, भूमि खरीद, टेलीफोन और सब्सिडी में आवंटन बढ़ने जा रहा है। हालांकि मेहमान नवाजी में खर्च घटाने की भी योजना है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने साहित्यिक कार्यक्रमों के अंतर्गत छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवेतन पर बड़ा खर्च कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में 5060 करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने आवंटन बढ़ाया और 5115 करोड रुपये खर्च की व्यवस्था की, लेकिन आगामी वित्त वर्ष में इस मद में 20.85 कटौती करते हुए 4048 करोड़ों रुपए देने का प्रस्ताव है। इसमें छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति घटने के आसार हैं। मानदेय के रूप में होने वाले खर्च में भी 9.64 फीसद कमी की योजना है।
विभिन्न मदों में दी जाने वाली सब्सिडी में 20 फीसद से अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव है। कई विभागों की सब्सिडी में वृद्धि की योजना है तो कई में कटौती हो रही है। कृषि में लगभग 11 फीसद, लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन में 122 व, हथकरघा में 64 फीसद की वृद्धि का प्रस्ताव है। वहीं भारी एवं मध्यम उद्योग की सब्सिडी में 32 फीसद, ग्राम विकास में 17 और पशुधन में 48 फीसद कटौती की योजना है।

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