राजहट, तिरिया हट और बाल हट तीनों हट दुखदाई और अमंगलकारी


पढ़ा जाता है और सुना जाता है साथ ही अनुभव किया जाता है कि हट आम जनमानस के लिए दुखदाई होते हैं। सबसे पहले हम बात करेंगे राजहट के लिए, जब राजा हट कर लेता है तो उसकी राज्य में प्रजा हमेशा दुखी रहती है। जिस तरह 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर लगभग 4 माह से किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों की मांग है कि जब तक तीनों ने कृषि कानून वापस नहीं हो जाएंगे तब तक हम लोग घर नहीं जाएंगे। आपको बता दें कि इस बीच लगभग 300 आंदोलनरत किसान शहीद हो गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजहट कर लिया है, जिससे किसान परेशान है। दूसरी तरफ निजीकरण और महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजहट किए बैठे हैं। साथ ही बेरोजगारी चरम पर है। डिग्री धारी विशेषज्ञ परेशान है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धृतराष्ट्र की तरह राजहट कर बैठे हैं। साथ ही लोगों का कहना है कि अब तो माननीय पद एवं गोपनीयता की शपथ लेकर भी झूठ बोलने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन लोगों का मानना है कि लोग गीता की कसम खाकर और संविधान की शपथ लेकर झूठ बोलने में परहेज नहीं कर रहे हैं। अब तो ऐसा कानून बनना चाहिए जिससे माननीयों को पद एवं गोपनीयता की शपथ न दिलाई जाए। जिससे हमारा धर्म बचा रहेगा और शपथ लेने की परंपरा भी बच जाएगी। 

बात तो रामरज्य की होती है, लेकिन होता तो रावण राज का। रामराज में वचन ही काफी होता था। शपथ लेना तो बहुत ही दूर की बात है। रघुकुल रीति सदा चली आई। प्राण जाए पर वचन न जाइ।। रामचरितमानस के अनुसार ही झूठ मस्करी जे जाना। कलयुग गुणवंत बखाना। स्वयं विचार कीजिए कि क्या कलयुग में सतयुग और आ सकता है। कलयुग द्वापर और त्रेता अपने चकरानुक्रमांक चलते ही रहेंगे। जो लोग कलयुग में सतयुग और द्वापर लाने की बात करते हैं इससे बड़ा झूठा कौन हो सकता है। कलयुग द्वापर और त्रेता के आवागमन को स्वयं ईश्वर ने नहीं रोका तो तुच्छ प्राणी की क्या मजाल इस चक्र को रोक ले।



अब हम बात करेंगे तिरिया हट की:  आप सब लोग जानते हैं और समझते हैं कि जब कोई स्त्री हट करती है तो उस परिवार का और समाज का कल्याण नहीं हो सकता है। स्त्री का हट आम जनमानस के लिए दुखदाई होता है। जो लोग समझदार होते हैं वह तो जैसे-तैसे स्त्री हट से अपने आप को बचा लेते हैं। जो न समझदार होते हैं वह बर्बादी के कगार की तरफ बढ़ जाते हैं। यह आज कलयुग से नहीं सतयुग और द्वापर में भी ऐसा होता आया है। पार्वती जी ने भगवान शंकर से हटकर और अपने पिता के यहां आयोजित समारोह में गई और उसके बाद जो परिणाम हुआ उसको जानकार लोगों को जरूर मालूम होगा। यदि यदि कैकेइ हट न करती तो तो शायद इतना बड़ा राम-रावण युद्ध न होता। महाभारत काल में यदि द्रोपदी अपने अपमान का बदला लेने की हट न करती तो शायद इतना बड़ा महाभारत न होता। कलयुग में तो आम आदमी प्रतिदिन स्त्री हट कर शिकार होता है। कभी-कभी तो यह नौबत यहां तक आ जाती है कि परिवार बर्बाद हो जाते हैं।



अब हम बात करेंगे बालहटः यहां पर आपको बता दें कि बच्चे तो अबोध होते हैं वह आए दिन कोई न कोई हट किया करते हैं। उनके माता-पिता अपनी स्थिति और परिस्थिति के अनुसार उनके हट को समझा-बुझाकर शांत कर देते हैं, लेकिन उनके मन मस्तिष्क पर उस हट का असर कहीं न कहीं जरूर पड़ता है। वैसे तो हट सभी तरह के दुखदाई होते हैं। इसमें से राज हट सबसे बड़ा दुखदाई होता है।

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