आज से मंडी समितियों में ई-मंडी परियोजना लागू


1 मार्च से प्रदेश की सभी मंडी समितियों में ई-मंडी परियोजना अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगी। कृषि उत्पादों के मंडी फार्म 6 व 9 और गेट पास इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही मान्य होंगे। अर्थात यहां मंडी पोर्टल के माध्यम से जारी फार्म ही वैध होंगे।

मंडी निदेशक जेपी सिंह ने बताया कि प्रदेश की सभी 220 मंडी स्थलों में कृषि जिंसों के क्रय-विक्रय को आसान बनाने के लिए एनआईसी के सहयोग से ई-मंडी विकसित किया गया है। यह मंडी के लागू हो जाने से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों के साथ मंडियों के डिजिटलाइजेशन में अग्रणी हो जाएगा।

पोर्टल पर मंडी से जुड़े व्यापारियों के लिए लाइसेंस प्रपत्र 6 व प्रपत्र 9 और गेट पास आवेदन माड्यूल उपलब्ध है। लाइसेंस यू के कार्यों के अनुसार उनके लॉगिन बनाए गए हैं। ई-मंडी के अंतर्गत फरवरी तक 8 लाख से अधिक फार्म 6, 4, 8 लाख फार्म 9 और 1.8 गेट पास ऑनलाइन जारी किए जा चुके हैं। फरवरी माह में ही लगभग चार लाख मैट्रिक टन कृषि उत्पाद का व्यापारी मंडी के माध्यम से हुआ है। ई-मंडी से किसानों को विक्रय फार्म उपलब्ध होना सुनिश्चित हो रहे हैं। साथ ही ऑनलाइन गेट पास की सुविधा मिल रही है। इससे व्यापारियों के स्टाॅक और डिमांड कलेक्शन की गणना भी स्वता हो रही है।


मंडी परिषद मुख्यालय पर एक हेल्प डेस्क भी बनाया गया है, जिसमें तकनीकी सहायक तैनात किए गए हैं। यह तकनीकी सहायक 24 घंटे तकनीकी सहायता देंगे। जेपी सिंह ने कहा कि मंडी परिषद के इस कदम से कर चोरी पर नियंत्रण होगा। पत्रों के कारण होने वाले विलंब को कम किया जा सकेगा। आने वाले समय में किसानों व व्यापारियों को विभिन्न मूल्य संवर्धन सेवाएं प्राप्त होने के द्वार खुलेंगे।

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