ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर कहीं खुशी तो कहीं गम


उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण के चलते चुनिंदा सीटों से हमेशा चुनाव जीत कर आने वाले नेताओं को इस बार घर बैठना होगा, या फिर किसी अन्य दूसरी सीट पर मशक्कत करनी होगी। सुबह में चकरानुसार की गई आरक्षण प्रक्रिया के चलते सैकड़ों नेताओं के चुनाव लड़ने के अरमानों पर पानी फिर गया है। इस बार उनकी बनी बनाई सीट आरक्षित हो गई है।

पहली बार दर्शन सिंह यादव 1972 में सफई के ग्राम प्रधान बने थे तब से लेकर पिछले चुनाव तक लगातार 48 साल तक वह प्रधान रहे। अक्टूबर 2020 में उनके निधन के बाद डीएम ने उनके परिवार की बहू को प्रधान पद की जिम्मेदारी सौंप दी थी। इस बार आरक्षण के चलते यह सीट मुलायम के मित्र के परिवार के हाथ से बाहर निकल गई है।


ब्लॉक कुल पंचायतें  एससी एससी महिला ओबीसी ओबीसी महिला महिला अनारक्षित
अलीगंज 93050809171737
अवागढ़ 5458510818
जैथरा 67367121226
जलेसर 5748610920
मारहरा 58466101022
निधौलीकलाां 71667131328
सटीक 92 599161736

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रोहटा ब्लॉक प्रमुख की सीट इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है। इस कारण बिजेंद्र  को सियासी तौर पर झटका लगा है। रोहटा ब्लॉक प्रमुख पद पर इस परिवार का लंबे समय से कब्जा बना रहा है। 2010 में विजेंद्र  ब्लॉक प्रमुख बने तो साल 2015 में महिला पद आरक्षित होने पर उन्होंने अपने परिवार की महिला को प्रमुख निर्वाचित कराया था, लेकिन इस बार उनके परिवार का ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर कब्जा नहीं कर पाएगा।

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल की सियासी ताकत को झटका लगा है। दो दशक से हरदोई जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर नरेश अग्रवाल के भाई मुकेश अग्रवाल का कब्जाा था, लेकिन इस बार हरदोई सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है जिसके चलते अग्रवाल परिवार को सियासी झटका लगा है।

रायबरेली की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर विगत 10 सालों से एमएलसी दिनेश सिंह के परिवार का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है।

प्रदेश में ऐसे सभी लोग जो सीट के रिजर्वेशन के चलते चुनाव से बाहर हो गए हैं। वह दूसरे विकल्प को ढूंढने में लग गए हैं। हमेशा से पंचायत चुनाव में ऐसा होने पर अपने किसी खास व्यक्ति को चुनाव लड़वाया जाता रहा है। इस बार भी यही विकल्प बचा है। रिजर्व कोटे से आने वाला कोई व्यक्ति किसी भी कैटेगरी की सीट पर चुनाव लड़ सकता है, लेकिन सामान्य वर्ग का प्रत्याशी सिर्फ सामान्य सीट पर ही चुनाव लड़ सकता है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के मोहनलालगंज की ग्राम पंचायत निगोहा में अभी तक सामान्य सीट थी। पहली बार यह सीट एससी के खाते में आई है। यहां एससी वर्ग के लोगों में खुशी है। दो माह पहले निगोहा के एसी समुदाय के लोगों ने राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तक को प्रार्थना पत्र देकर निगोहा में एसी सीट करवाने की मांग की थी।

ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण से जगह मिलने के कारण क्षेत्र के महिलाएं काफी खुश हैं। कासिमपुर विरूहा गांव की निवासी और महिला स्वाभिमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी ने कहा कि उनकी पंचायत में प्रधान पद की सामान्य सीट होने से वह काफी खुश हैं।

ग्राम पंचायत सदस्य निर्देशन पत्र150, जमानत राशि 500, खर्च सीमा 10000, ग्राम प्रधान पद हेतु निर्देशन पत्र राशि 300एजमानत राशि 2000, खर्च सीमा 75000, क्षेत्र पंचायत पद हेतु निर्देशन पत्र 300, जमानत राशि 2000 और खर्च सीमा 75000, वहीं जिला पंचायत सदस्य निर्देशन पत्र 5000 जमानत राशि 4000 और खर्च सीमा डेढ़ लाख।

उन्नाव जिले में गुरुवार से सूची पर आपत्तियां सुझाव लेने की कार्रवाई शुरू हुई थी। शुक्रवार को दूसरे दिन प्रधान सीट के लिए 86 आपत्तियां दर्ज है। इसमें पंचायती राज विभाग में 58, सीडीओ के पास 20, डीएम के पास पांच और डाक के माध्यम से 3 शिकायतें पहुंची। अधिकांश आपत्तियों पर आरक्षण को लेकर सवाल उठाए गए थे। कुछ आबादी का हवाला देकर आरक्षण को गलत ठहराया। इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 7, बीडीसी की 2 और 1 ग्राम पंचायत सदस्य के लिए शिकायत पहुंची। जिला पंचायत राज अधिकारी राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि जो आपत्तियां आई है उन्हेंर रजिस्टर में दर्ज कराया जा रहा है। अब तक का एक सैकड़ा आपत्ति आ चुकी है। प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य पद की शिकायतें शामिल है।8 मार्च तक आपत्तियां लेने के बाद जांच शुरू की जाएगी जांच के बाद आगे की स्थिति साफ होगी। 

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