
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल एक दूसरे को घेरने में लगे हैं। साथ ही आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं। इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पीछे नहीं है। बीजेपी को पटकनी देने के लिए और अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज सिलीगुड़ी में रसोई गैस के बढ़ते दामों के खिलाफ पदयात्रा निकालेंगी। चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर होने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही हैं। इससे पहले पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण ममता बनर्जी ने स्कूटी चला कर विरोध जताया था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ सिलीगुड़ी में विरोध प्रदर्शन करेंगी। इस अवसर पर पदयात्रा निकालेंगी। ममता बनर्जी ने शनिवार को ऐलान किया था कि 7 मार्च को वह रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगी। टीएमसी नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रसोई गैस के बढ़ते दामों के खिलाफ पदयात्रा निकालेंगी। ममता बनर्जी इस दौरान दार्जिलिंग मोर, सिलीगुड़ी में महिलाओं के साथ पदयात्रा का आयोजन करेंगी। पिछले कुछ दिनों से रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। बगैर सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये की वृद्धि हुई है। फरवरी से अब तक 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलेंडर के दाम 125 रुपये बढ़ चुके हैं। यह तीसरी बार था जब फरवरी माह में रसोई गैस के दाम बढ़े हो। इससे पहले 4 फरवरी और 14 फरवरी को रसोई गैस के दाम में बढ़ोतरी की गई थी। 25 फरवरी को रसोई गैस की कीमतों में 25 रुपये का इजाफा हुआ था।
उधर किसान संगठनों ने तीन नए कृषि कानूनों की वापसी और किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले इसके लिए बीजीपे सरकार के अडियल रवैये को लेकर हमलावर हैं और विगत 100 दिनों से दिल्ली बार्डर पर किसानों का आंदोलनर लगतार जारी है। इस बीच आंदोलन में शामिल लगभग 250 किसान शहीद हो चुके है। सूत्रों के अनुसार अब किसान संगठनों ने तय किया है कि पूरे देश में किसानों को जागरूक करेंगें। खासकर उन राज्यों में जहां विधानसभा चुनाव हैं और आने वाले समय में होने वाले हैं। वहां यह बताने की कोशिश होगी कि सत्तारूढ़ सरकार किसानों के हित में नहीं है।
चुनाव के पहले दावा किया गया था कि किसानों की आय दो गुनी कर दी जाएगी। आय तो दो गुनी नहीं हुई। अब तो किसानों के सामने अपनी जमीन बचाने का संकट खड़ा हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और किसान यहां तक कह चुके हैं कि तीन नए कृषि कानून फायदेमंद नहीं बल्कि किसानों के लिए डेथवारंट हैं। इस बीच किसान आंदोलन को बदमान करने और आंदोलन को विफल करने के लिए कई तरह के कुचक्र रचे गये हैं। यहां तक किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गये और ठंड में कैननवाटर का प्रयोग किया गया। उधर निजीकरण् को लेकर कर्मचारी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही डिग्रीधारी बेरोगार युवा सरकार के रवैये को लेकर मुख्य हैं।
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