लखनऊ: कौन सुूनेगा, किसको सुनाएं, क्या से क्या हो गया


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में क्लार्क अवध के पास शनि देव मंदिर के निकट इतनी दयनीय हालत में एक बुजुर्गं को देखा गया जो चलने और उठने बैठने में पूरी तरह असमर्थ था। एक व्यक्ति ने वहां बताया कि यह कई दिनों से भूखे-प्यासे इसी हालत में पड़े हैं। यह पता बताने में असमर्थ है। कल इनको हमने बिस्किट के पैकेट और पानी पिला दिया था। तब से यह भूख प्यास से तड़प रहे हैं। हम विश्व गुरु बनने चले हैं, लेकिन भुखमरी में हमारा देश विश्व में 101 वें स्थान पर हैं। हमारे कर्ताधर्ता दावे तो बहुत करते हैं, लेकिन इस विकराल समस्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। दूसरी तरफ बेरोजगारी और कर्ज से दबे हुए कई हजार लोग आत्महत्या कर चुके हैं।


राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की कृषि उप-समिति की सिफारिशों के आधार पर 2007 में शुरू की गई एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है। भारत में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 में पारित हुआ लेकिन 2011 में लागू हुआ। यह योजना पहली बार 14 जनवरी 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू की गई थी, और जून 1947 में वर्तमान स्वरूप में शुरू की गई थी। भारत में राशन की शुरुआत 1940 के बंगाल के अकाल से हुई थी। हरित क्रांति से पहले, 1960 के दशक की शुरुआत में तीव्र भोजन की कमी के मद्देनजर इस राशन प्रणाली को पुनर्जीवित किया गया था ।

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सरकार ने संसद द्वारा पारित, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 दिनांक 10 सितम्‍बर,2013 को अधिसूचित किया है,जिसका उद्देश्‍य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्‍ता के खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें मानव जीवन-चक्र दृष्‍टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा।

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भारत का समग्र वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) स्कोर 2000 में 38.9 से बढ़कर 2020 में 27.2 हो गया, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, साध्वी निरंजन ज्योति ने संसद को सूचित किया। वर्ष 2015, 2016, 2017, 2018, 2019 और 2020 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग क्रमशः 80, 97, 100, 103, 102 और 94 थी, और इसका स्कोर 38.9 से बढ़कर 27.2 हो गया। 2020 जीएचआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का समग्र जीएचआई स्कोर 2000 में 38.9 से बढ़कर 2020 में 27.2 हो गया है। उन्होंने एक लिखित उत्तर में लोकसभा में कहा, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ़ द्वारा लाए गए जीएचआई के मामले में देश ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार सुधार दिखाया है। 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 और अन्य कल्याण योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) के तहत राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के माध्यम से लक्षित आबादी को अत्यधिक रियायती कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध करा रहा है। कहा,एनएफएसए ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत तक और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत तक को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत मोटे अनाज/गेहूं के लिए 1/2/3 रुपये प्रति किलोग्राम पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए कवरेज प्रदान करता है।  लाभार्थियों की पहचान दो श्रेणियों के अंतर्गत है- अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवार (पीएचएच) के अंतर्गत आने वाले परिवार। प्राथमिकता वाले परिवार प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम प्राप्त करने के हकदार हैं और एएवाई परिवार प्रति माह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के हकदार हैं। वर्तमान में, यह अधिनियम सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, जिसमें लगभग 79.51 करोड़ लोगों को अत्यधिक रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए शामिल किया गया है। 

2020-21 के दौरान, सरकार ने  प्राकृतिक आपदाओं और त्योहारों के कारण आवंटन, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, और आत्मानिर्भर भारत के तहत राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को 948.37 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया। चालू वर्ष यानी 2021-22 के दौरान सरकार ने अब तक एनएफएसए, ओडब्ल्यूएस और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य अतिरिक्त आवंटन के तहत 860.63 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया है। 

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