महाशिवरात्रि के मौके पर बाराबंकी जिले में लाखों शिवभक्त कंधे पर कांवड़ रखकर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते हुए महादेवा मंदिर पहुंचे हैं। बाराबंकी का ये महादेवा मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। महाभारत काल से ही यहां पर मौजूद ये मंदिर लोधेश्वर महादेव के नाम से भी प्रसिद्द है।
महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर के दर्शन के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लाखों की संख्या में कावड़िये और श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। पूरे जिले में हर तरफ बम भोले, शिव शंकर के जयकारे गूंज रहे हैं। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए शिव भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है। श्रीलोधेश्वर महादेवा में शिव बरात जैसा नजारा दिख रहा है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड, नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरात, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
वैद्यनाथ मन्दिर झारखण्ड राज्य के देवघर नामक स्थान में अवस्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। हर वर्ष सावन के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु बम-बम का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। ये सभी श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
इतिहासरू राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और वरदान माँगने को कहा। रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने चेतावनी के साथ अनुमति दे दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा। रावण शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। रावण उस लिंग को एक व्यक्ति को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया। इधर उन व्यक्ति ने ज्योतिर्लिंग को बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया। लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका को चला गया।
1 मार्च को देवाधिदेव महादेव को पूजने का यह परम पवित्र महा पर्व बड़े ही धूम धाम एवं हर्षाेल्लास के साथ श्रद्धा पूर्वक शिव भक्त मनाएंगे। इस दिन शिव भक्त व्रत रहकर ,उपवास रखकर भगवान शिव को जलाभिषेक ,दुग्धाभिषेक ,रुद्राभिषेक ,जागरण इत्यादि से रिझाएंगे। साथ ही सुहागन स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए ,अविवाहित लड़किया मन पसन्द जीवन साथी की प्राप्ति हेतु शिव की पूजा अर्चना करेंगी। इस दिन चतुर्दश लिंग की पूजा होगी।
यूपी के लखीमपुरी खीरी जिले की गोला तहसील में भी छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ है, जहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। कोई कांवड़ यात्रा में शामिल होकर तो कोई अन्य माध्यमों से भोलेनाथ का आर्शीवाद लेने के लिए उनकी शरण में जाता है। यूपी के गोला तहसील में भी छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ है। गोला के गोकर्णनाथ के बारे में कहा जाता है कि सतयुग में लंका का राजा रावण भगवान शिव को यहां लाया था।
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