वाह रे लखनऊ पुलिस! चाहेतो को फायदा पहुंचाने के लिए पीड़ितों का नहीं दर्ज किया मुकदमा, अब विवेचना में भी पक्षपात

 


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना ठाकुरगंज के जनरल गंज में एक महिला को मोहल्ले के लोगों ने गलत नियत से अपने घर, खींच कर ले जा रहे थे जब पीड़ित ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया तो मोहल्ले के सभी लोग दौड़ पडे और पीड़िता को छुड़ाया! इसकी शिकायत पीड़िता ने 112 पर की! पुलिस आई यह कह कर चली गई कि थाने पर जाकर शिकायत करो इसके बाद पीड़ित ने थाने गए जहां ना पीड़ित का मेडिकल कराया गया और ना ही f.i.r. की गई! 

इधर आरोपित रंजीत निगम और शैलेंद्र निगम ने बलरामपुर अस्पताल का ओपीडी मैं पर्चा बनवा कर डॉक्टर को दिखाया कि हमारे पैर चोट लगी है! जबकि शैलेंद्र निगम के दाएं पैर में मोटरसाइकिल गिरने से चोट लगी थी और यह चोट पुरानी थी! इसी ओपीडी पर्चा पर एडीसीपी बेस्ट लखनऊ ने मेडिकल मानकर और चोट को अनदेखा करते हुए मोहल्ले के 20 लोगों पर मुकदमा लिखने का आदेश दे दिया जिसमें लगभग 10-12 महिलाएं शामिल है और 10 बच्चों का भी आरोपी बनाया गया है जबकि हकीकत यह है कि मोहल्ले के यह सभी लोग दौड़कर पीड़िता की इज्जत लूटने से बचाया था! जिसके शिकायत पीड़िता के पति ने चौकी से लेकर थाना और सीईओ के साथ ही उच्च अधिकारियों तक की लेकिन आज तक पीड़ित का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और अब विवेचक आशीष सिर्फ पीड़ित के पक्ष के लोगों का नाम आधार ले रहे हैं और उनकी बात को अपनी विवेचना में नहीं दर्शा रहे हैं! यह पुलिस की मनमानी विवेचना पीड़ित पक्ष के लोगों को हजम नहीं हो रही! 

 बालागंज के, विवेचक आशीष विवेचना कर रहे हैं उन्होंने सिर्फ आरोपित के नाम पता और आधार ले रहे हैं बाकी आरोपितों की बात को नहीं सुन रहे है जो असल मामला है उसकी सच्चाई भी सामने नहीं ला रहे हैं! 


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