जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा मजदूरों का किराया राज्यों को साझा करना होगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रवासी मजदूर जिस राज्य से चलेंगे वहां स्टेशन पर उनके भोजन और पानी का इंतजाम किया जाएगा। रास्ते में रेलवे खाना पानी का इंतजाम करेगी । राज्य पंजीकरण की देखरे करेगा और सुनिश्चित करेगा कि पंजीकरण के बाद नियत तिथि पर ट्रेन या बस उपलब्ध हो। पूरी जानकारी सभी संबंधित लोगों तक उचित तरीके से पहुंचे यह भी सुनिश्चित करना होगा। अब इस मसले पर अगली सुनवाई 5 जून को होगी। मजदूरों की बदहाली पर शीर्ष अदालत ने मंगलवार को स्वत संज्ञान लिया था । कोर्ट ने केंद्र सभी राज्यों तथा केंद्र शासित क्षेत्रों को नोटिस जारी कर 28 मई तक जवाब मांगा था उनसे पूछा गया था कि उन्होंने मजदूरों के लिए क्या किया है सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल अभिषेक मनु सिंघवी और इंदिरा जयसिंह ने भी सुझाव दिए।
कोर्ट ने कहा, केंद्र और राज्य सरकारों ने कई प्रयास किए हैं हालाकि लोगों तक इनका फायदा पहुंचता नहीं दिख रहा। मजदूरों के पंजीकरण प्रक्रिया में कई खामियां हैं। मजदूरों ने पंजीकरण करवा दिया फिर भी घर लौटने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। केंद्र व राज्य सरकारी 5 जून तक बताएं कि श्रमिकों के लिए परिवहन योजना क्या है। रजिस्ट्रेशन कैसे किया जा रहा है । किसने प्रवासी मजदूर अभी घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया प्रवासी मजदूरों को स्पेशल ट्रेनों और बसों से उनके राज्यों में पहुंचा रहे हैं 1 मई से 27 मई तक 91 लाख मजदूरों को घर पहुंचाया उन्हें खाना दिया जा रहा है।
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