मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना वायरस के चलते प्रवासी मजदूरों के साथ जो दिक्कत आई है भविष्य में इस तरह की कठिनाई न आए इसके लिए प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक कल्याण आयोग गठन करने की योजना बनाई है। जिसमें श्रमिकों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा। कुशल, अर्ध कुशल और अकुशल। श्रमिकों की स्केल मैपिंग के साथ ही उनको भक्ता भी दिया जाएगा। योग्यता के अनुसार उनको सुरक्षा और सम्मान व मिनिमम वेतन मिले। इसके लिए श्रमिक कल्याण बनाने का निर्णय लिया है। संविधान प्रदत्त अधिकार ६, १९ और २३ का हवाला देकर कई सवाल भी उठाए गए हैं।
आज तक लाइव दंगल में विषय मजदूरों को कौन ठगा और कौन सगा विषय पर विभिन्न दलों के नेताओं और राजनीतिक विश्लेषक आदि ने अपने विचार रखते हुए क्रिया, प्रतिक्रिया व्यक्त की। राजीव त्यागी प्रवक्ता कांग्रेस, गौरव भाटिया प्रवक्ता बीजेपी, अरविंद बाजपेई प्रवक्ता एलजेपी, वागीश सारस्वत प्रवक्ता एस एनएस, आशुतोष राजनीतिक विश्लेषक आदि थे।
कोरोना वायरस के चलते प्रवासी मजदूरों के साथ जो दिक्कतें आई हैं उसको ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमिक कल्याण आयोग बनाने का निर्णय लिया जिसमें कुशल, अकुशल और अर्ध कुशल श्रमिकों को अलग-अलग श्रेणी में रखा जाएगा और उनकी तकनीकी योग्यता के आधार पर सुरक्षा वेतन और सम्मान मिले इसके लिए आयोग बनाना जरूरी था।
विपक्ष ने इसको लेकर संविधान प्रदत्त 6, 19 और 23 का हवाला दिया। कहा कि इसके तहत कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी जा सकता है, नौकरी कर सकता है। निवास कर सकता है। और अपनी इच्छा अनुसार कानून के आधीन रह कर अपना जीवन यापन कर सकता है। रही बात मजदूरों का आयोग बनाने की उसको लेकर पहले से ही प्रत्येक जिले में रोजगार कार्यालय मौजूद हैं, जहां पर रोजगार चाहने वाले लोगों का पंजीकरण होता है। साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जाता है। रोजगार कार्यालय में पूरा बायोडाटा इंट्री किया जाता है। पंजीकृत बेरोजगारों को सरकारी, अर्द्ध सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में वैकेंसी के बारे में सूचना भी देते हैं।
गांव में मजदूरी करने वाले लोगों को मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाया जाता है। जिसमे कम से कम 100 दिन का कार्य देने की गारंटी है। इसमें भी मजदूर का पूरा बायोडाटा अंकित किया जाता है। देश में लगभग 50% लोग प्राइवेट संस्थानों में काम करते हैं। मुख्यमंत्री के विचार अच्छे हैं लेकिन सलाह सही दिशा में नहीं दी गई यदि अच्छी सलाह दी गई होती तो रोजगार कार्यालय और मनरेगा को ही अधिक से अधिक अधिकार देकर सशक्त बनाया जा सकता था।
रोजगार चाहने चाहने वालों के साथ ही प्रवासी मजदूरों को अधिक से अधिक बगैर समय गवाएं शीघ्र ही रोजगार, सुरक्षा के साथ ही मिनिमम वेतन और सम्मान मिल जाता। आज रोजगार कार्यालय उदासीनता के चलते स्वयं बेरोजगार हो गए हैं।
अस्पताल, इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज के साथ ही प्राइमरी शिक्षा को बढ़ावा देना अच्छी बात है लेकिन सही तरीके से अमल मैं लाया जाए तब तो ठीक है नहीं तो सफेद हाथी ही साबित होंगे। यदि सीएससी पीएससी और मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही संसाधनों का अभाव है तो मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल पाना असंभव है। यदि इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में अच्छे अध्यापक नहीं है तो गुणवत्तापरक शिक्षा हासिल करना विद्यार्थियों के लिए बहुत ही कठिन कार्य है। बुलेट ट्रेन चलाने की बात तो अच्छी है विचार करने वाली यह बात है कि हमारा रेलवे ट्रैट बुलेट ट्रेन की गति को सहन कर पाएगा या फिर हादसों को दावत देगा।
बहुत दिनों से सरकार दावा कर रही किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में प्रयास हो रहा है। यदि अमल किया जाए तो बहुत ही अच्छी बात है इससे हमारे देश का किसान खुशहाल होगा तो देश मजबूत होगा। प्रत्येक वर्ष पर्यावरण को लेकर के बड़े पैमाने पर पौधरोपण अभियान चलाया जाता है लेकिन कभी भी जिम्मेदार अधिकारी इस पर विचार नहीं करते कि पौध रोपने से ही काम नहीं चलेगा। जब तक उसकी सही ढंग से सिंचाई देखरेख न की जाए। तब तक पौधा बड़ा नहीं होगा और न ही पर्यावरण को शुद्ध कर पाएगा।


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