एक संस्था के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014 में लखनऊ में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या 4:30 हजार थी करो ना काल के बाद इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ गई है इस समय राजधानी लखनऊ में 7000 से अधिक वयस्क भिखारी हैं इन सभी के साथ एक दो बच्चे भी आते ही इस तरह 14 से 15000 बच्चे भीख मांगने में शामिल हैं। यह सिर्फ लखनऊ का हाल है तो पूरे प्रदेश उसके बाद पूरे देश में कितने बच्चे भीख मांग रहे होंगे इसका तो साधारण ही अनुमान लगाया जा सकता है।
भिखारियों को मुख्यधारा में लाने के लिए काम कर रही बदलाव संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने कहा कि लगभग 2 साल पहले पॉलिटेक्निक चौराहे पर भीख मांगने वाले बच्चों के 2 गैंग पकड़वाये थे एक एक टोली में 10 10 बच्चे थे। जानकारी करने पर मालूम हुआ कि बाराबंकी से एक महिला इन्हें रोज पॉलिटेक्निक चौराहा पर भीख मांगने के लिए लाती थी।
समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने कहा कि चौराहों पर जो भीख मांग रहे हैं वह खुद को भी चूक मानने से इनकार कर देते हैं ऐसे में समाज कल्याण विभाग के हाथ पूरी तरह बंद जाते हैं यह पुलिस तय करें कि बिच्छू कौन है उन्हें पकड़ कर कोर्ट में पेश करें इसके बाद हम उनके लिए व्यवस्था करेंगे
अध्यक्ष राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के डॉ विशेष गुप्ता ने कहा कि मेरे पास प्रदेश से 845 बच्चों को रेस्क्यू किए जाने की सूचना है। मुख्यमंत्री का आदेश है कि इन बच्चों को पुनर्वासित किया जाए आज बाल आयोग डीपीओ से इस बारे में जानकारी करेगा और लखनऊ में अभियान की स्थिति का सच जानेगा।

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