मंगलवार को विधानसभा में किसानों का मुद्दा छाया रहा, विपक्षी दलों ने जोर शोर से 3 नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध जताया


विगत 3 माह से 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का दिल्ली बॉर्डर पर शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा है। इस बीच सरकार से लगभग 12 दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार की तरफ से इन कानूनों को डेढ़ साल होल्ड करने के लिए कहा गया था लेकिन कानून वापसी करने को लेकर सरकार की मनसा पूरी तरह साफ है कि कानून किसानों के हित के लिए बनाए गए हैं इससे किसानों का फायदा होगा।अब सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता भी बंद हो गई है।

इधर भीषण ठंड के चलते ढाई सौ किसान इस आंदोलन में शहीद हो गए हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन को दबाने और कुचलने के लिए कई तरह के कुचक्र रचे गए, इसके बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक 3 नए कृषि कानून वापस नहीं हो जाते हैं और एमएसपी को लेकर कानून नहीं बन जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा और घर वापसी नहीं होगी।

मंगलवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से लागू तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और किसान आंदोलन में जान गवाने वाले प्रदेश के  किसानों को शहीद का दर्जा देकर उनके परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग की।साथ ही कोरोनावायरस व्यवस्थाओं और कानून व्यवस्था पर केंद्र और राज्य सरकार को घेरा कहा कि सरकार पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है और किसान पर अत्याचार हो रहा है। साथ ही कहा कि अनियोजित lock-down से देश और प्रदेश में अफरा-तफरी मच गई कोरोनावायरस नी मौतें नहीं हुई हैं उससे ज्यादा मौतें लॉकडाउन में इलाज नहीं मिलने पर प्रवासियों के घर लौटते समय दुर्घटनाओं भूख और बीमारी से हो गई हैं श्रमिकों गरीबों की ऐसी दुर्दशा पहले कभी नहीं देखी।

उधर कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि अभिभाषण में गोवंश संरक्षण के दावे को खारिज करते हुए गोवंश के संरक्षण के नाम पर बनाए गए गौशाला का निर्माण आने वाले समय में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार साबित होगा । गौशाला में रखे गए गोवंश बदहाल हैं। हजारों की संख्या में गोवंश की मौतें हो चुकी हैं‌। साथ ही किसानों के मुद्दे पर कहा कि प्रदेश सरकार को कृषि बिल को रद्द करने से संबंधित प्रस्ताव विधानसभा में पारित करके केंद्र को भेजा जाना चाहिए।

बहुजन समाज पार्टी के विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि राज्यपाल का भाषण आम आदमी को गुमराह करने वाला है। सरकार ने इसे पढ़वाने के लिए राज्यपाल को गुमराह किया है। कहा कि इसी कारण राज्यपाल भी अभिभाषण पढ़ने को तैयार नहीं थी ।अभिभाषण में न तो सरकार की कोई नीतियां दिख रही हैं।और ना ही कोई विजन दिख रहा है। इसलिए वह इस अभिभाषण का विरोध करते हैं। यह बातें बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने  राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हिस्सा लेते हुए कहीं।

उधर विधान परिषद में सपा ने गन्ना बकाया का मुद्दा जोर-शोर से उठाया सपा के राजेश यादव ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि गन्ना मूल्य का भुगतान 14 दिन में कराएंगे लेकिन किसानों का बकाया नहीं मिल रहा है गन्ना मूल्य ₹450 प्रति कुंतल करने की मांग की साथ ही सपा के संजय लाठर ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि अगर किसानों को 14 दिनों में गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं कर सके तो बकाए का 15% ब्याज दिया जाएगा।

आनंद भदौरिया ने कहा कि गन्ने का दाम ना बढ़ना किसानों के साथ अन्याय है। नरेश उत्तम ने कहा कि भाजपा जो भी कहती है ठीक उसके विपरीत काम करती है जवाब देते हुए गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि यह आरोप गलत है कि हमने 4 साल में गन्ने का दाम नहीं बढ़ाया 2018 में सरकार ने ₹10 बढ़ाए थे बीते 4 साल में हमने 123,995 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।

राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने उत्तर प्रदेश बजट पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार का ध्यान केवल किसान विरोधी काम पर है और किसानों की पंचायतों पर धारा 144 लगाकर आयोजन रोकने की साजिश जारी है। मंगलवार को लखनऊ पहुंचे जयंत चौधरी का एयरपोर्ट पर रालोद के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे के नेतृत्व में जोरदार स्वागत हुआ।


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