उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला में गंगा के कछार वाले क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है जिससे वहां की तस्वीर बदल रही है लगभग 16 सौ हेक्टेयर में होने वाले किसानी का दिन प्रतिदिन रकबा बढ़ रहा है। जैविक खाद और बीज से खेत में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ा रहे हैं।
जैविक खाद का उपयोग होना शुरू हुआ है जिले की मृदा का शिवांश कारण 0% तक पहुंच गई है पहले यह जीरो पॉइंट 2 थी जमीन पड़ती हो रही थी जिससे खेती करना मुश्किल होने के साथ चुनौती भरा हो गया था। गुड बेसन और डी कंपोजर लिपिड के उपयोग से जिले की खेती की तस्वीर बदलनी शुरू हो गई है।नमामि गंगे योजना के तहत 64 गांवों में जैविक खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।खेतों में गोबर गुड़ गोमूत्र बेसन से बनी खाद का ही प्रयोग किया जा रहा है। सिकंदरपुर सरोसी गंगा घाट पाटन, बीघापुर, परिअर, बांगरमऊ गंज मुरादाबाद मैं जैविक खेती की जा रही।सबसे अधिक 32 गांव सिकंदरपुर सरोसी के हैं जहां फसल की पैदावार सामान्य से अधिक हो रही है
मूंगफली केला गेहूं की फसल किसान कर रहे हैं। जैविक खाद के उपयोग से जमीन के जीवांश बढ़ना शुरू कर दिया है। 20 साल पहले जिले में खेती का जीवांश कार्बन1.3 फीसद था जो सन 2017 में 0 .2 फीसद हो गया। इसके बाद शासन स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए निर्देश दिए गए हैं।

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