उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि लोक, लाज से ही लोकराज चलता है। मुख्यमंत्री द्वारा सत्ता का दुरुपयोग ठोक दो ऐसी डोज दूंगा कि दर्द दूर हो जाएगा। इस तरह की भाषा का प्रयोग अहंकारी मनोदशा का सूचक है। जनता यह सब देख रही है। सदन से सड़क तक भाजपा के चाल और चरित्र का वास्तविक चेहरा सामने आ चुका है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि सपा ही भाजपा का विकल्प है। भाजपा को वर्ष 2022 में किसान, नौजवान, बेरोजगार, व्यापारी सभी वर्ग के लोगों का आक्रोश भारी पड़ने वाला है।
कहां गया बीजेपी का नारा बहुत हुई डीजल पेट्रोल से महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि यह समझ से परे है कि भाजपा को किसानों से इतनी नफरत क्यों है। विगत कई माह से किसान दिल्ली बार्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों के साथ वार्ता कर समस्या समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। भाजपा अपने संकल्प पत्र में किए गए वादों को भी भूल गई है। जनप्रतिनिधि जब जनता की परेशानियों से संबंधित सवाल करते हैं। उनके वादों पर जवाब मांगते हैं तो भाजपा भड़क जाती है। जनता को डराने वाली भाजपा अब खुद चुनाव में जाने से पहले डर रही है। लोकतंत्र में जनता के पास ही पूरी ताकत होती है। वोट से सरकारें बनती-बिगड़ती हैं। सत्ता के मद में जनता की अनदेखी करना भाजपा के लिए भारी पड़ेगा।
उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सत्ता में आने पर भदोही जिले का नाम फिर से संत रविदास नगर किया जाएगा। संत रविदास का मानना था कि जात-पात का भेदभाव मानवता के समग्र विकास में बड़ा बाधक है। उन्होंने कहा कि बसपा की स्थापना से पहले कांग्रेस, भाजपा व अन्य पार्टियां दलित आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्ग में जन्मे संतों, गुरुओं और महापुरुषों की उपेक्षा करती थी। बसपा के नेतृत्व में अब इस समाज के लोग संगठित और जागरूक हो रहे हैं।


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