लाल किले पर विशेष झंडा फहराया गया

 विगत 2 माह से 3 नए कृषि कानूनों कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है किसानों का कहना है कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते और न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बन जाता तब तक हम घर नहीं जाएंगे सरकार का कहना है कि हम खुले मन से बिंदुवार चर्चा करने के लिए तैयार हैं लेकिन कानून वापस नहीं होंगे इस बीच सरकार और किसान संगठनों के साथ 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है हर बार तारीख ही मिली है 11 वें दौर की वार्ता के बाद अगली कोई तारीख भी नहीं थी। यहां यह बता दें कि इन विगत दो माह में 100 से ज्यादा किसान शहीद हो गए हैं। इसके बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगा। इसके पहले किसानों ने कई माह का प्रोग्राम तय कर रखा था उसी कड़ी में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकाल ली थी इसी को लेकर निर्धारित समय पर ट्रैक्टर परेड निकाली गई इसमें कुछ अराजक तत्व किसान के भेष में भी शामिल हो गए। और वह अपने प्रायोजित कार्यक्रम में सफल भी हो गए जिसका परिणाम रहा कि लाल किले पर एक विशेष झंडा फहरा दिया गया इस बीच किसान और पुलिस के साथ झड़पें भी हुई यहां तक की किसानों को काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े फिर भी आंदोलित कथित किसान अपने मकसद में कामयाब हो गए इस इस दौरान पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हो गया और दो किसानों की मौत भी हो गई। सरकार स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कई जिलों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी है ‌।

इस आयोजन के पहले भी किसान नेता राकेश टिकैत यह आशंका जता चुके हैं कि कुछ अराजक तत्व और सरकार से समर्थित लोग किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए कोई बड़ी घटना करा सकते हैं। यदि इस आयोजन में कोई भी गड़बड़ी होती है तो उसकी जिम्मेदारी पुलिस और सरकार की होगी। हम किसान संगठन भी इस पर नजर बनाए हुए हैं लेकिन पुलिस और खुफिया विभाग मैं हम ज्यादा विश्वास करते हैं इतनी क्षमता हमारे पास नहीं है कि हम यह चिन्हित कर ले कि कौन किसान है कौन किसान के भेष में आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रहा है। यदि हमारे बीच ऐसे लोग आ जाएंगे और हम उन को चिन्हित कर लेंगे तो ऐसे अराजक तत्वों को हम पुलिस के हवाले कर देंगे ।

किसान नेता राकेश टिकैत और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने इस पूरी घटना पर दुख जताते हुए कहा कि यह अति निंदनीय है किसान ऐसा नहीं कर सकते हैं यदि आवेश और भूल बस किसान इसमें शामिल हो गए हैं तो मैं उनकी तरफ से माफी मांगता हूं। और यह उम्मीद करता हूं की ऐसी निंदनीय घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो ‌‌। यह घटनाएं किसान आंदोलन को बदनाम करने की एक बहुत बड़ी साजिश है इससे आंदोलन की शुचिता पर आ जाती है। साथ ही यह भी मालूम हुआ कि किसान संगठनों के नेता यह कहते रहे कि कोई भी किसान किसी अप्रिय घटना में शामिल नहीं होगा यदि कोई ऐसा करता है तो वह हो किसान आंदोलन से दूर चला जाए ।

यहां पर यह बता दे कि किसान आंदोलन से अलग लेकिन किसानों के हित में बात करने वाले यह कहते हुए नजर आए की सरकार को किसानों की बात मान लेनी चाहिए और तीनों नए कृषि कानून वापस लेकर एमएसपी पर गारंटी वाला कानून बना देना चाहिए ‍। किसान सरकार से कुछ मांग नहीं रहे हैं वह तो यह कह रहे हैं कि जब हम यह तीन कृषि कानून चाह नहीं रहे हैं तो आप हमको क्यों देना चाह रहे हैं बिना मांगे किसी को सलाह तक नहीं देना चाहिए। आप हमारे लिए कानून बना कर दे रहे हैं यह कानून हमारे लिए फांसी का फंदा है काले कानून है । इसलिए हम सब मिलकर इसका विरोध कर रहे है। इसमें सरकार को क्या आपत्ति है सरकार पर कोई वित्तीय भार भी नहीं पड़ने वाला है। सरकार की बदनामी भी नहीं हो रही है। फिर सरकार किसके कहने से यह तीनों का कानून वापस नहीं लेना चाहती है । इसमें सरकार का क्या फायदा है किसान जानना चाह रहे हैं।

यह माना जा रहा है कि लाल किले को अपने कब्जे में लेना और वहां झंडा फहराना पूरी तरह गलत है लेकिन यह भी मानना चाहिए कि जो झंडा फहराया गया है वह हमारे ही देश में कुछ विशेष धर्म और समुदाय से हैं ना कि चीन और पाकिस्तान का ‌। यह आक्रोश और भूल बस ऐसी गलती हो गई है तो इसके लिए माफी भी दी जा सकती हैं ना कि हम अपने देश के लोगों को इस गलती के लिए फांसी की सजा दे दे ऐसा हमारे देश की परंपरा नहीं है कहा गया है कि जितनी गलती इतनी सजा ‌। इसके लिए पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से जो 2 किसान शहीद हो गए हैं यह भी बहुत ही दुखद हैं ऐसा नहीं होना चाहिए था क्या झंडा फहराने की कीमत लोगों की जान लेकर चुकानी पड़ेगी ‌। यह हमारे देश की लोग थे ना कि विदेशी। जहां पर यह भी बता दें कि इस पूरे घटनाक्रम में सरकार और पुलिस की नाकामी कहीं न कहीं उजागर होती है।


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