कड़ाके की ठंड और बारिश में भी नहीं डिगा किसानों का हौसला


तीन नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना विगत 40 दिनों से जारी है। इस बीच दो-तीन दिनों से हो रही बारिश और कड़ाके की ठंड ने भी किसानों का हौसला नहीं डिगा पाई। किसानों का मानना है जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते और एमएसपी पर लीगल गारंटी नहीं मिलती तब तक हमारे हौसले को कोई कम नहीं कर सकता। किसानों का मानना है कि चाहे जितने भी किसान शहीद हो जाएं हम घर वापस तभी जाएंगे जब तीनों कृषि कानून पूरी तरह वापस हो जाएंगे। इन नए कृषि कानूनों में किसी प्रकार संशोधन मान्य नहीं है।


बताते चलें कि छह दौर की किसान और सरकार के बीच वार्ता में कोई ठोस प्रणाम नजर नहीं आया है। आज फिर किसान और सरकार के बीच वार्ता होने वाली है। लोगों का मानना है कि सरकार और किसान जिस तरह अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं। उससे कोई कारगर रास्ता निकलने की उम्मीद बहुत ही कम है। दूसरी तरफ किसान संगठनों ने पहले ही पूरे महीने का प्रदर्शन करने का कार्यक्रम फिक्स कर रखा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 57 किसानों की जान चली गई है। इसमें कई किसान आत्महत्या भी कर चुके हैं। सरकार की तरफ से किसानों पर कई तरह के आरोप भी लगाए गए हैं। जिस तरह किसानों के लंगर में सरकार के जिम्मेदार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने खाना खाया है उससे यही साबित होता है कि यहां सरकार का दोहरा चरित्र अपना रही है।


किसानों का मानना है कि क्या बीजेपी सरकार यही रामराज्य लाना चाहती थी। जहां जवान और किसान सभी परेशान हैं। आज तक कोई भी प्रधानमंत्री ऐसा नहीं हुआ होगा जिस पर खुले तौर पर चुनिंदा उद्योगपतियों काे फायदा पहुंचाने का आरोप लगा हो। देश एक दो व्यक्तियों से नहीं चलेगा जब तक हर व्यक्ति को काम और उनको रहने के लिए छत मुहैया नहंी होगी तब तक अच्छे दिन की बात तो करना दूर की कौड़ी ही साबित है होगी।


यहां यह देखने वाली बात है कि मीडिया वह चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक कभी यह नहीं कहा कि यह किसानों का बड़ा फैसला है। सरकार की हर बात को बड़ी कार्यवाही और बड़ा फैसला बतने पर तुली है। परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन कहा बड़ा फैसला ही कहा जाएगा। इसीलिए आज किसान और आम आदमी का मीडिया पर से भरोसा कम होता दिखाई दे रहा है। यहां तक की मीडिया को लोग गोदी मीडिया कहते हुए नहीं हिचक रहे हैं। अब ईश्वर पर ही भरोसा है चाहे 70-80 साल के बुजुर्ग आंदोलनरत किसानों की जान ले या फिर उन पर अपनी ईश्वरी आशीर्वाद से मालामाल कर दे। साथ ही सरकार को सदबुद्वि मिले। जिससे किसानों के हित सरकार फैसला करे और तीनों नए कृषि कानून वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाए। जिससे किसानों की आय में इजाफा हो सके।

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