तीन नए कृषि कानूनों का लगातार 43 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है। इस भीषण ठंड और वर्षा ने भी किसानों के हौसले को नहीं रोक पाई है। सरकार और आंदोलित किसानो ंके बीच 8 दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। अब किसानों को मनाने के लिए सरकार ने फिर 8 जनवरी को वार्ता के लिए बुलाया है। किसान संगठनों का मानना है कि जब 6 दौर की वार्ता में कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है तो 8 जनवरी की वार्ता के बाद भी फिर आगे की तारीख दे दी जाएगी। किसानों का मानना है कि सरकार तीन नए कृषि कानूनों को वापस करना नहीं चाहती हैं। विरोध के बाद सिर्फ संशोधन करने के लिए विवश है। लेकिन किसान संगठन संशोधन नहीं चाहते हैं। पूरी तरह तीनों कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं। साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून चाहते हैं जो सरकार करना नहीं चाहती है।
किसान अपना हक पाने के लिए आज लगभग 60 हजार टैªक्टरों पर सवार दिल्ली के चारों ओर टैªक्टर मार्च निकाल रहे हैं। किसानों के टैªक्टर मार्च के मददेनजर पुलिस ने कुंडली, मानेसर, पलवल टोल प्लाजा पर सुरक्षा बढ़ा दी गाजियाबाद के एडीएम (सिटी) शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि किसानों के मार्च को देखते हुए पर्याप्त पुलिस लगाई है साथ ही वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई हो रही है। किसानों ने कहा कि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। आज का मार्च उसी का ट्रेलर है। हरियाणा के किसान संगठनों ने हर गांव से 10 महिलाओं को 26 जनवरी के लिए दिल्ली बुलाया है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च की अगुआई महिलाएं ही करेंगी। हरियाणा की करीब 250 महिलाएं ट्रैक्टर चलाने प्रशिक्षण ले रही हैं।
कृषि कानून रद्द करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा कि स्थिति में कोई सुधार नहीं है। साथ ही कहा कि किसानों की हालत समझते हैं। अब 11 जनवरी को सुनवाई होगी। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।

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