अपने ही कारनाम से मोदी ने खुद लगाई अपनी लंका में आग, आंसू गैस के गोले दागे, एक किसान की मौत




लखनऊः तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में विगत दो माह इस भीषण ठंड और बरसात में खुले आसमान के नीचे किसान दिल्ली बार्डर पर सारे दुखः दर्द सह रहा है। इस बीच सैकड़ों किसान शहीद हो गये। कुछ किसानों ने सरकार के रवैये से दुखी होकर अपनी जान तक दे दी, लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगा। इस बीच सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही। किसान संगठनों का कहना था कि जब तक तीनों नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे तक हम घर वापस नहीं जाएंगे। उधर सरकार प्रत्येक दौर की वार्ता में यही कहा कि हम खुले मन से बिन्दुवार चर्चा करने के लिए तैयार है। कानून वापसी के बजाए किसान संगठनों के पास कोई दूसरा विकल्प हो तो हमे बताये। हर वार्ता के बाद तारीख से किसान ऊब चुका है और सरकार की मंशा को पूरी तरह से भांप चुका है। इसीलिए किसान नेता राकेश कहा करते हैं कि यह आंदोलन लंबा चलेगा। सरकार जल्दी मानने वाली नहीं हैं। हमको भी कोई जल्दी नहीं है। जरूर पड़ी तो आंदोलन दो-तीन साल तक चलता रहेगा।


आज किसान टैªक्टर परेड में जो भी हुआ वह सरकार और पुलिस की नाकामी है। यह घटना दुखद और निंदनीय है। यह नहीं होना चाहिए था। किसान टैक्टर परेड में आंसू गैस के गोले और पत्थर नहीं बरसाने चाहिए था। इसके बचाव में जो घटना घटित हुई वह शर्मनाक है। इससे किसान आंदोलन पर भी आंच आई और आंदोलन कमजोर हुआ। तय रूट के थोड़ा बहुत इधर उधर किसान बहक गये थे तो कोई बड़ा अपराध तो नहीं किया था। दिल्ली को टैक्टर से गिराने तो नहीं जा रहे थे। जिससे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गये। साथ ही पत्थर बरसाये गये। इस घटना पर स्वराज इंडिया के संस्थापक और किसान नेता राकेश टिकैत ने दुख व्यक्त करते हुए किसानों से शांति बनाये रखने की अपील की है। यहां तक मालूम हुआ है कि टैªक्टर परेड में एक किसान की मौत भी हो गई है।


यदि रावण की बहन सूपनखा अपनी निसाचर माया राम, लक्ष्मण और सीता से न दिखाई होती तो शायद सूपनखा की नाक-कान लक्ष्मण जी न काटते। न ही रावण के भाई मारे जाते। यदि रावण बहन के कहने पर सीता जी का हरण न किया होता तो शायद लंका बची रहती। अर्थात तीन नए कृषि कानून लाकर मोदी जी ने अपनी ही लंका में आग ली है। इस आग में पूरी लंका जलाकर राख हो जाएगी। सिर्फ समय का खेल है। हनुमान जी ने सीता का पता लगाने के लिए सात समुदंर पार लंका जाकर अशोक वाटिका को क्षति पहुंचाई थी। रावण की सोने की लंका  जलाकर राख कर दी। यहां यही कहने में कोई गुरेज नहीं कि किसानों ने दिल्ली के लाल किले तक पहुंच कर झंडा पहराया। कोई अपराध नहीं किया है। गणतंत्र दिवस पूरे भारतवासियों का है। सबको अपना राष्ट्रीय पर्व मनाने का अधिकार है।


रावण के बेटे अंगद ने ब्रहास्त्र चला कर हनुमान जी को बांध लिया था। रावण दरबार में रावण ने हनुमान जी से जब कारण पूंछा तो बताया कि जिन मोहि मारा, ते मै मारे तेहि पर बांधे तनय तुम्हारे। हर जीवधारी को अपने शरीर की रक्षा करना साथ शरीर के लिए भूख मिटाना धर्म है। अर्थात किसानों की टैक्टर परेड पर आंसू गैस के गोले ना दागे जाते और न ही पत्थर बरसाये जाते तो शायद किसान उग्र न होते। किसान जब दो माह से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे तो आज भी उग्र नहीं होते। यहां सरकार और पुलिस को कानून व्यावस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी थी जो ठीक से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन नहीं कर पाई। जिसका परिणाम आज घटना घटित हुई। इस पर राहुल गांधी ने टवीट कर कहा कि किसान शांति बनाये रखे। किसी भी अप्रिय घटना से बचने का भूरपूर प्रयास करे।

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