शर्तों के साथ रैली मंजूर नहीं, 12 बजे परेड निकालने का कोई मतलब नहीं: सभरा
तीनर कृषि कानूनों के विरोध में विगत 2 माह से दिल्ली बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन आज भी 61वें दिन जारी। इस दो महीने में किसान संगठन और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल सका। हर बार वार्ता के बाद अगली तारीख दे दी गई। किसान संगठनों का कहना है कि जितनी बार सरकार वार्ता के लिए बुलाएगी हम जाएंगे, लेकिन हमारी मांग है कि तीनों नए कृषि कानून वापस हों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कानून बने कि एमएसपी से नीचे कोई भी हमारी फसल की खरीद नहीं करेगा।
जानकारी मिली है कि दिल्ली पुलिस 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली के लिए मान गई है, लेकिन जानकारी मिली है कि सरकार की तरफ टैªक्टर रैली पर बै्रक लगाने के लिए डीजन न देने का फरमार जारी किया गया है। दिल्ली बार्डर पर जहां प्रदर्शन चल रहा है वहां ट्रैक्टर-ट्रालियों की लंबी कतारें लगी हैं। साथ ही आज मुंबई में भी महाराष्ट्र के 21 जिलों से किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन का समर्थन करने को राजभवन का घेराव करेंगे। इसके लिए किसान मुंबई के आजाद मैदान में जमा हुए हैं। साथ उत्तर प्रदेश गेट पर किसानों की ट्रैक्टर रैली से पहले जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय और एसएसपी कलानिधि नैथानी किसान नेता राकेश टिकैत के साथ बैठक करने पहुंचे।
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए महाराष्ट्र के अलग.अलग हिस्सों से किसान मुंबई के आजाद मैदान में जमा हुए हैं। एक प्रदर्शनकारी किसान ने बताया कि जब तक तीनों नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। हम आज रैली करने के बाद राज्यपाल को ज्ञापन देने जाएंगे। इन दो महीनों में सरकार की तरफ से आंदोलन कर रहे किसानों पर कई तरह के आरोप लगाए गये हैं, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि पता नहीं सरकार किस चश्मे देख रही है। जिससें किसानों में उनकों खालिस्तानी, पाकिस्तानी और टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग दिख रहे हैं।
लोगों का यह भी कहना है कि सत्तारूढ़ सरकार सिर्फ जुमलेबाजी करती है। पाकिस्तान और चीन का तो कुछ बिगाड़ नहीं पाई है। इन छह वर्षों में जितने जवान शहीद हुए हैं। उतने जवान कभी भी शहीद नहीं हुए हैं। देश की अर्थव्यवस्था जितनी डामाडोल हैं उतनी कभी नहीं हुए हैं। जितनी बेरोजगारी आज बढ़ गई हैं उतनी कभी नहीं रही है। आज के प्रधानमंत्री पर जितने आरोप लगे हैं। उतने शायद किसी प्रधानमंत्री पर नहीं लगे होंगे। चीन अरूणाचल प्रदेश में दो माह में पूरा 101 घर का गांव बसा लिया है फिर भी मोदी साहब चुप बैठे हैं। कहां गया मोदी जी वादा कि सौगंध भारत देश की मिटटी की कि देश झुकने नहीं दूंगा, देश को बिकने नहीं दूंगा। मां गंगा ने मुझे बुलाया है। कोराना काल में पीएम मोदी के मन की बात सुनी, कहा माना, ताली बजाई, मोमबत्ती जलाई। फिर भी कोरोना महामारी से लोगों की जान नहीं बचा पाए।
मोदी साहब से अच्छे तो हमारे सीएम योगी बाबा हैं। जिन्होंने एक झटके में लाॅकडाउन में दारू का ठेका खोल दिया। उसके बाद पूरे प्रदेश में सबकुछ खोल दिया। उसी दिन से कोरोना वायरस का नामोनिशा मिट गया। यदि पीएम मोदी साहब थाली बजाने और मोमबत्ती जलाने में न पड़ते तो शायद जनता को तीन माह का लाॅकडाउन की परेशानियां न उठानी पड़ती। बहुत दिनों तक जमाती-जमाती करने में समय बिता दिया। उधर कनिका कपूर जिनको बाद में काफी दिनों तक क्वारंटाइन रखा गया। कनिका कपूर के प्रोग्राम के पहले उनकी कोरोना जांच नहीं कराई गई थी। कनिका कपूर के प्रोग्राम में देश के जाने-माने नेता शामिल हुए। तब कोरोना कहां चला गया था। उस प्रोग्राम में कोरोना से बचाव की गाइड लाइन का भी पालन नहीं किया गया था।

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