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| आंदोलित किसान |
लखनऊः नए कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार आंदोलित किसान और सरकार के बीच वार्ता विफल रही। किसानों का मानना है कि जब तक तीनों कृषि कानों को वापस नहीं किया जाता तब आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। किसानों से चर्चा के दौरान सरकार ने कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने का सुझाव रखा, लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को नहीं माना है।
आय दोगुनी करने का जुमला देकर कृषि क़ानून की आड़ में किसानों की ज़मीन हड़पने का जो षडयंत्र है वो हम खेती-किसानी करनेवाले अच्छे से समझते है. हम अपने किसान भाइयों के साथ हमेशा की तरह संघर्षरत हैं, जिससे एमएसपी, मंडी व कृषि की सुरक्षा करनेवाली संरचना बची-बनी रहे.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 1, 2020
भाजपा अब ख़त्म!
दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर जमा किसानों की मदद के लिए हर कोई आंदोलित किसानों की हरसंभव मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को लोग लस्सी, दूध और केले पहुंचा रहे हैं। खालसा एड और गुरुद्वारों की तरफ से लंगर की व्यवस्था की गई है। कहा गया है कि चिन्ता न करें कहीं, आपदा हो जाए तो गुरुद्वारे से लंगर वहां भी पहुंच जाता है
#Delhi- AAP सांसद संजय सिंह का ट्वीट-
— भारत समाचार (@bstvlive) December 1, 2020
➡पंजाब सीएम बीजेपी के सीएम बन गए-संजय
➡कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के CM बन गए हैं’
➡किसान विरोधी क़ानून बनवाने में BJP का साथ दिया’
➡कैप्टन ने एक साल से भाजपा का साथ दिया-संजय
➡अरविंद केजरीवाल किसानों का साथ दिया-संजय pic.twitter.com/cPpMBXvLrn
केंद्र सरकार ने समिति बनाने का सुझाव दिया। इस समिति में किसान, कृषि विशेषज्ञ और सरकार के प्रतिनिधि होंगे। किसानों ने आरोप लगाया कि पूंजीपति उनकी जमीन हड़प लेंगे। इस समिति बनाने का समय नहीं है। किसान नए कृषि कानूनों को शीघ्र हटाने की मांग कर रहे हैं। जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे आंदोलन जारी रहे।
तपती गर्मी हो चाहे कड़कड़ाती ठंड किसान बिना रुके, बिना थके हमारी थाली तक भोजन पहुंचाने के लिए मेहनत करता है, हमारे देश का अन्नदाता है वो।
— Haryana Congress (@INCHaryana) December 2, 2020
उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए।#CongressKeVichaar pic.twitter.com/edzBEvMksj
भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगियों में से एक शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार और राजग से दूरी बना ली। इसके बाद सोमवार को आरएलपी के मुखिया और सांसद हनुमान बेनीवाल ने नए कानूनों को वापस नहीं लेने पर राजग से हटने की धमकी दी। अब मंगलवार को जेजेपी ने किसानों की मांग का समर्थन करते हुए नए कानूनों में एमएसपी जारी रखने का लिखित आश्वासन देने की मांग की। भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि हरियाणा में उसकी सरकार जेजेपी की बैसाखी पर टिकी है।
कहा- किसान की आय दुगनी होगी।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 2, 2020
किया- ‘मित्रों’ की आय हुई चौगुनी और किसान की होगी आधी।
झूठ की, लूट की, सूट-बूट की सरकार। pic.twitter.com/anSiQ8Zird
जेजेपी के अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा कि सरकार को किसानों की समस्या का शीघ्र हल निकालने का ठोस कदम उठाना चाहिए। देश के अन्नदाता सड़कों पर परेशान हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को अपना दिल बड़ा करते हुए किसानों की मांगों को स्वीकार करना चाहिए। किसानों की नाराजगी को देखते हुए अकाली दल ने राजग और मोदी सरकार से नाता तोड़ा। चूंकि आंदोलनकारियों में जाट बिरादरी मुख्य रूप से शामिल है, और यही जेजेपी के साथ आरएलपी का मुख्य वोट बैंक है।
मोदीजी एक तरफ किसानों के आंदोलन को गलत बता रहे हैं और दूसरी तरफ कह रहे हैं कि किसानों से बात करेंगे। न आपकी नीति साफ है और न ही नीयत साफ है। आप केवल झूठ की खर पतवार उगा रहे हैं। इस देश का किसान इसकी निराई करना जानता है।#FarmersDelhiProtest
— Sunil Singh Yadav (@sunilyadv_unnao) December 1, 2020
किसान आंदोलन का दायरा लगातार बढ़ने और सहयोगी दलों के किसानों के साथ खड़े होने से सरकार की चिंता बढ़ी है। इससे पहले किसानों के अपने अपने राज्यों में प्रदर्शन और रेल पटरियों पर कब्जे के बावजूद सरकार और भाजपा निश्चिंत थी। मगर आंदोलन का फलक लगातार बड़ा होने और सहयोगियों की नाराजगी बढ़ने के कारण सरकार दबाव में है। इसी दबाव के कारण सरकार ने अचानक मंगलवार को किसान यूनियन के प्रतिनिधियों को बातचीत का न्यौता दिया।

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