तीन नए कृषि के विरोध में किसान आंदोलन का 22वां दिन है। इस भयंकर हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। उनका हौसला डिगता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। किसानों ने कहा कि चाहे ठंड पड़े या बारिश जब तक तीनों कृषि संबंधित काले कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक हम टस से मस नहीं होंगे।
करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 16, 2020
कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।
ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो! pic.twitter.com/rolS2DWNr1
किसानों का आक्रोशत इतना बढ़ गया है कि किसानों के समर्थन में संत बाबा राम सिंह ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद किसान कह रहे हैं कि अब तो वह बिना अपनी मांगें मनवाए वापस नहीं जाएंगे। उधर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार की सुनवाई के बाद आज फिर किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई होगी।
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए बिहार के सिवान जिले से साइकिल पर 1100 किलोमीटर का सफर तय कर सत्य देव मांझी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करे। जब तक सरकार किसानों की मांगे नहीं मानती तब तक हम यहीं रहेंगे
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री @nstomar ने देश के अन्नदाताओं को पत्र लिखकर उनके हितों के लिए किये गए कृषि सुधारों की आवश्यकता और उपयोगिता को उद्धृत किया है। साथ ही उन्होंने इस सम्बंध में फैलाए जा रहे भ्रमजाल को निरस्त करते हुए महत्वपूर्ण आश्वासन दिए हैं। #ModiWithFarmers pic.twitter.com/zyk72ZU4ZN
— BJP (@BJP4India) December 18, 2020
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्र लिखकर किसानों के सामने अपनी भावनाएं प्रकट की हैं। एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें। देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा कहा कि किसानों का आंदोलन नाजुक दौर से गुजर रहा है। मैं प्रधानमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और किसानों की मांगों को मानते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस करें।
भाजपा सरकार कोरोना का बहाना करके लोकसभा का शीतकालीन सत्र टालकर किसानों और विपक्ष का सामना करने से बच रही है. लोकसभा व विधान सभा का सत्र बुलाकर देश में किसान बिल, निजीकरण, बेरोज़गारी, महँगाई तथा उप्र में क़ानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा व विकास के रूके हुए कामों पर तुरंत चर्चा हो. pic.twitter.com/Yyx3uN2YBR
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 17, 2020
राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय समन्वयक के वी बीजू ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में मामले अपनीं समिति में हमने निर्णय लिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, एचएस फूलका और कॉलिन गोंसाल्वेस से परामर्श करेंगे।
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली विधानसभा में कृषि कानूनों की प्रति फाड़ने पर बोलीं कि दिल्ली के राजपत्र में 23 नवंबर को केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को अधिसूचित किया गया था। अब वे सूचित करने के बाद दिल्ली विधानसभा में उसी अधिनियम की प्रतियां फाड़ रहे हैं। यह अवसरवादी राजनीति है।

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