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| पंजाब में जियो के टाॅवर को क्षतिग्रस्त करने की नियत से टाॅवर पर चढ़े आक्रोशित लोग |
किसानों का मानना है कि अंबानी और अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन नए कृषि कानून लेकर आएं हैं जो किसानों के हित में नहीं हैं। कहावत है कि दुश्मन की चिलम फोड़ दो तो तलब से मर जाएगा, वही काम आक्रोशित किसानों ने किया। आंदोलित किसानों ने 24 घंटों में जियो के 90 मोबाइल टावरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। जिससे बड़ी संख्या में मोबाइल बंद हो गए हैं। पिछले दो दिनों में पंजाब में किसानों ने 1500 जियो के मोबाइल टावरों को क्षति पहुंचाई है। साथ ही टावर को संचालित करने के लिए तैनात कर्मचारियों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार की भी पुलिस को शिकायतें मिल रही हैं। पंजाब भर में जियो के 9000 मोबाइल टावर संचालित हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर ने मोबाइल टावरों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की थी। फिर भी आक्रोशित किसान मोबाइल टावरों को क्षति पहुंचाकर अपना गुस्सा उतार रहे हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब पुलिस को टावरों को क्षतिग्रस्त करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज सदर स्थित शनि पीठाधीश्वर महेंद्र दास जी के आवास पर पहुंचे। वे हरिद्वार में कुंभ मेले की तैयारियों का निरीक्षण कर दिल्ली जा रहे थे। साक्षी महाराज ने कहा कि हिंदुस्तान में सिर्फ सरदार ही किसान नहीं हैं। देश में उत्पात सिर्फ सिंधु बॉर्डर पर हो रहा है। किसान आंदोलन में शामिल नहीं है। जिन्हें समस्या है उन्हें प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री सभी ने बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। हमें संतुष्ट कर देंगे तो उनकी मांग मान ली जाएगी। मोदी को गाली देना अनुचित है। किसान कल्याण निधि किसानों ने मांगी नहीं थी लेकिन उन्हें दी गई। प्राकृतिक आपदा में 50 प्रतिशत का नुकसान होता था तब नुकसान माना जाता था। अब 30 प्रतिशत नुकसान भी आपदा में मान लिया जाता है। गरीबों के लिए 38 करोड़ जनधन खाते, शौचालय, 2022 तक हर सर पर छत होगी। पहले रहे प्रधानमंत्री कहते थे 100 रुपये भेजते हैं और 15 रुपये पहुंचते थे। मोदी दो हजार का बटन दबाते हैं और पूरा पैसा किसानों के खातों में पहुंच जाता है।
राकांपा प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को केंद्र पर निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्यों से बिना विचार-विमर्श के ही तीन नए कृषि कानूनों को थोप दिया। साथ ही कहा कि दिल्ली में बैठकर खेती के मामलों से नहीं निपटा जा सकता क्योंकि इससे सुदूर गांव में रहने वाले किसान जुड़े होते हैं। दिल्ली की सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन का एक माह से ज्यादा दिन हो गए। किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिये गठित तीन सदस्यीय मंत्री समूह के ढांचे पर सवाल उठाया और कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को ऐसे नेताओं को आगे करना चाहिए जिन्हें कृषि और किसानों के मुद्दों के बारे में गहराई से समझ हो। शरद पवार ने कहा कि सरकार को विरोध प्रदर्शनों को गंभीरता से लेने की जरूरत है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसानों के आंदोलन का दोष विपक्षी दलों पर डालना उचित नहीं है।
ट्विट कर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों द्वारा बातचीत के लिए प्रस्तावित दिन की जगह बातचीत की तारीख़ को आगे बढ़ाकर ये साबित कर दिया है कि कड़कड़ाती ठंड में अपना जीवन न्यौछावर कर रहे किसान उनकी प्राथमिकता नहीं हैं। भाजपा लगातार किसानों का तिरस्कार कर रही है। किसान दंभी भाजपा को सड़क पर ले आएँगे।
उधर एआईएमआईएम के प्रमुख व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मध्यप्रदेश में भी (लव जिहाद( अध्यादेश जारी होने के संदर्भ में कहा है कि संविधान में कहीं भी इसकी कोई परिभाषा नहीं है। भाजपा शासित राज्य इसे लेकर संविधान का मखौल उड़ा रहे हैं। ओवैसी ने आगे कहा कि यदि इन राज्यों को कोई कानून बनाना है तो वे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने यानी (एमएसपी) और बेरोजगारों को रोजगार देने का कानून बनाएं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए 14 व 25 के तहत किसी सरकार को देश के किसी नागरिक की निजी जिंदगी में दखल का अधिकार नहीं है। भाजपा संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का हनन कर रही है।





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