लखनऊः पूरे देश के किसानों में जोरदार आक्रोश है। यह आका्रेश इस तरह से देखने को मिल रहा जो बड़े तूफान का संकेत दे रहा है। जिसमें कल अर्थात 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया गया है। इस भारत बंद में आम जागरूक लोगों के शामिल होने की संभावना है, जो यह जानते हैं कि यह काला कानून सिर्फ किसानों के लिए नहीं बल्कि इसकी मार आम आदमी पर पड़़ने वाली है। देश में गरीबी है ही साथ तीन नए कृषि कानूनों से देश में अनाज के अभाव में आम जनता को भूखों मरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
मोदी जी ने अपने मित्रों के लिये जमाखोरी को कानूनी अधिकार बनाकर अन्नदाता पर प्रहार किया है।#किसानों_के_संग_भारत_बंद pic.twitter.com/sVoq2Z9I9F
— Uttarakhand Congress (@INCUttarakhand) December 7, 2020
लोगों के पास पैसा तो होगा लेकिन खाने के लिए अनाज चीन और पाकिस्तान से मंगाना पड़ेगा। कानून में असिमत भंडार की छूट देने से देश के बड़े-बड़े उद्योगतियों के साथ ही विदेश भी हमारे देश का सारा अनाज खरीद कर अपनी गोदामों में भर लेगें। यह लोग अपनी गोदामों का मुंह तब तक नहीं खोलेंगे जब उनको दस गुना मुनाफा नहीं मिलेगा। इस तरह बाजार में अनाज की कमी होगी और आमजन के सामने अनाज के अभाव में अपनी जान तक गंवाने की नौबत यह काला कानून लाने वाला है।
अखिलेश यादव @yadavakhilesh की आवाज है ,आवाज तो सुनी ही होगी सरकार pic.twitter.com/J6mks2atYJ
— Juhie Singh (@juhiesingh) December 7, 2020
आज तक हमने सुना है और पढ़ा भी है कि विशेषज्ञ लोग किसानों को जागरूक करते थे, लेकिन आज किसान उन विशेषज्ञ लोगों को जागरूक किया है। किसानों का मानना है कि यह लड़ाई सिर्फ हमारी नहीं है हम भारत देश के सवा सौ अरब जनता के पेट भरने के लिए लड़ रहे हैं। किसानों का मानना है कि हम तो हमेशा मिटटी में रहते हैं और हमारे बच्चें भी मिटटी से खेलते हैं। हम तो अपने बच्चों को जैसे-तैसे पेट भर लेंगे, लेकिन उस बड़ी आबादी का क्या होगा जिनके पास खेत नहीं हैं। नौकरी पेशा ही उनका सबकुछ है। नौकरी पेशा लोगों को बताना चाहता हूं कि अंबानी अडानी और मोदी-शाह सभी अनाज खाते हैं, कोई रूपया नहीं खाता है। रूपया लेकर घूमोंगे अनाज नहीं मिलेगा। यदि मिलेगा भी तो सोने-चांदी के भाव में।
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जागरूक पक्ष, विपक्ष के राजनेता किसानों के समर्थन में लगभग खुलकर सामने आने लगे है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संघ के वकीलों ने भी किसानें को समर्थन देने के लिए खुलकर सामने आने लगे है। अब तो यह खबरे आने लगी हैं कि सम्मानीय लोग अपना अवार्ड भी वापस करने लगे हैं। किसानों के समर्थन में मजदूर संगठनों और आल इंडिया टांसपोर्ट आदि ने किसानों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।

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