चिराग पासवान ने किया बीजेपी को समर्थन का ऐलान

 


बिहार में मुस्लिम और यादव की आबादी करीब 30 फीसदी है! माना जाता है कि इनकी सहानुभूति लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल से है! आरजेडी की सबसे बड़ी ताकत मुस्लिम और यादव समीकरण है! जातीय झुकाव से कोई भी पार्टी अछूती नहीं है, बीजेपी और कांग्रेस भी नहीं, लेकिन स्थानीय पार्टियां खुले तौर पर एक जाति की राजनीति को हवा देती हैं. लालू प्रसाद की RJD हो या नीतीश कुमार की JDU या राम विलास पासवान की पार्टी LJP, सभी पार्टियों की पहुंची राज्य में जाति के आधार पर बनी हुई है. राजनीतिक विश्लेषकों में इस कड़ी में आरजेडी को अव्वल माना जाता ! 

राज्य में 26 फीसदी ओबीसी और 26 फीसदी ईबीसी का वोट बैंक है! ओबीसी में बड़ा हिस्सा यादवों का है जो 14 फीसदी के करीब है! यादवों को राजद का परंपरागत वोट बैंक समझा जाता है! इसके अलावा ओबीसी में 8 फीसदी कुशवाहा और 4 फीसदी कुर्मी वोट बैंक है. इन दोनों पर नीतीश कुमार का प्रभाव है. वैसे उपेंद्र कुशवाहा भी आठ फीसदी कुशवाहा समाज पर प्रभाव का दावा करते हैं! इनके अलावा 16 फीसदी वोट बैंक मुस्लिमों का है. मौजूदा सियासी समीकरण में इस वोट बैंक पर राजद का प्रभाव दिखता है लेकिन जेडीयू भी उसे अपने पाले में करने की कोशिशों में जुटी है! 

राज्य में 15% वोट बैंक उच्च जातियों (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ) का है.भाजपा और कांग्रेस का फोकस सवर्णों पर रहा है लेकिन पहली बार राजद ने इसमें भी सेंधमारी की कोशिश की है.दर्जन भर टिकट सवर्णों को दिए हैं! 

बिहार में विधानसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव में लोजपा(रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार कभी भी महागठबंधन से अलग हो सकते हैं। नीतीश कुमार मोकामा से ज्यादा दूरी पर नहीं रहते हैं, इसके बावजूद वह चुनाव प्रचार के लिए नहीं आ रहे हैं। चिराग पासवान ने बीजेपी को समर्थन करने का ऐलान किया है! इतना तो तय है कि दोनों के रिश्ते इन चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे! 

 मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के प्रचार से नीतीश कुमार गायब हैं। इसके पीछे उन्होंने चोट का हवाला दिया है। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि नीतीश कुमार कभी भी गठबंधन छोड़ सकते हैं। ऐसे में बिहार की सियासत में यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार ने जानबूझकर बिहार उपचुनावों से दूरी बनाई है। चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार मोकामा से ज्यादा दूरी पर नहीं रहेते हैं, इसके बावजूद वह चुनाव प्रचार के लिए नहीं आ रहे हैं, यह महागठबंधन के लिए बेईमानी है। वहीं नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा है कि नीतीश कुमार को पता चल गया है कि मोकामा और गोपालगंज में राजद हार रही है, ऐसे में वह हार की जिम्मेदारी अपने सिर पर नहीं लेना चाहते हैं।



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