भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि साम्विधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम समेत कोई भी संस्थान परिपूर्ण नहीं है!

 


संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि साम्विधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम समेत कोई भी संस्थान परिपूर्ण नहीं है! हम मौजूदा व्यवस्था के तहत ही काम करते हैं! जो संविधान हमें दिया गया है जैसी उसकी व्याख्या की गई है हमें उसी ढांचा के भीतर रहकर काम करना होता है! उनके समेत कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश संविधान को लागू करने वालों के भरोसेमंद सिपाही हैं! जब हम खामियों की बात करते हैं तो हमारा समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर अपने तरीके से काम करना है! एससीबीए  के अध्यक्ष ने अच्छे लोगों को लेकर सवाल उठाया है! न्यायपालिका में अच्छे लोगों को लाने और उन्हें ज्यादा वेतन देने से कॉलेजियम प्रणाली में सुधार नहीं होगा! आप न्यायाधीशों को कितना भी अधिक भुगतान करें यह एक सफल वकील के 1 दिन की कमाई का एक अंश भर होगा! लोग सार्वजनिक सेवाओं को लेकर प्रतिबद्धता की भावना से न्यायाधीश बनते हैं! जज बनना अंतरात्मा की पुकार है! 



उधर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बड़ा झटका देते हुए भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी आनंद तेलतुंबड़े की जमानत के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी! बांबे हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को तेलतुंबड़े को जमानत दे दी थी! तेलतुंबड़े पर माओवादियों से संबंध रखने के आरोप हैं! मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हीमा कोहली की पीठ ने एनआईए के लिए एडीशनल सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और तेलतुंबड़े के वकील कपिल सिब्बल को सुनने के बाद कहा हमें हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला! 

उधर लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्र की जमानत याचिका पर सुनवाई में ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने का निर्देश दिया है! जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रमनाथ की पीठ को बताया गया कि इस मामले में चार्जशीट दायर की जा चुकी है! पर ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने के संबंध में उचित आदेश पारित करना बाकी है! पीठ ने यह देखते हुए मामला 29 नवंबर को ट्रायल कोर्ट के सामने आएगा 1 सप्ताह के भीतर आरोप तय करने को कहा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 12 दिसंबर को सुनवाई करेगा! 

उधर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने उत्तर प्रदेश में विशेष शिक्षकों की कमी मामले में दाखिल जनहित याचिका पर उचित हलफनामा दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताई! यूपी सरकार के वकील ने कहा सरकार 12 हजार नियमित शिक्षकों की नियुक्ति पर विचार कर रही है! बजट आवंटित किया जा चुका है! पीठ ने पूछा क्या यह इस सदी में हो जाएगा! अब हमें सरकार के जागने तक इंतजार करना चाहिए! वकील ने कहां अदालत हमें निर्देश दे सकती हैं! पीठ ने कहा क्या पूरी सरकार हमें ही चलानी है! आप और याचिकाकर्ता हमें निर्देश देने के लिए कह रहे हैं! इसके बाद आप कहेंगे कि न्यायालय अपनी सीमा का उल्लंघन कर रहा है ! इस मामले में अगली सुनवाई दिसंबर के दूसरे सप्ताह में होगी! 

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