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| बंजर जमीन की प्रतीकात्मक फोटो |
देश में जमींदारी उन्मूलन हुआ जिसमें, जमीदारों की जमीनों को कम कर भूमिहीनों को कमाने खाने भर के लिए किसानों को जमीने दी गई! इस निर्णय से जमीदारों के ठाठ बाठ और दमनकारी रवैया पर अंकुश लगा! दूसरी तरफ मेहनत करने वाले किसानों को अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए जमीन मिली! यह निर्णय सरकार का जनहित में काफी फायदेमंद रहा था! साथ ही देश में खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हुआ!
इसके बाद 1975 में भूमिहीनों को जमीन का पट्टा किया गया इस निर्णय से बेकार पड़ी जमीन पर किसान मेहनत कर उसको उपजाऊ बनाया और देश तरक्की के रास्ते पर चल पड़ा लेकिन इसमें भी मानकों की अनदेखी हुई बहुत सारे पात्र लोग छूट गए और अ पात्रों को फायदा भी मिल गया! आज स्थिति यह आ गई है कि जो जमीदार थे उनके पास बहुत कम जमीन रह गई है और जो भूमिहीन sc-st के वर्ग के थे उनके पास 5 बीघे से ज्यादा जमीन में हो गई है और आज भी एससी/एसटी को जमीन का पट्टा किया जा रहा है जबकि अन्य वर्ग के लोग भूमिहीन होते हुए भी उनको पट्टा नहीं हो पा रहा है!
लखनऊ के सरोजनीनगर तहसील में अहिमामऊ की कीमती 80 जमीनों के पट्टे और असंक्रमणीय से संक्रमणीय बनाने के आदेश की जांच पूरी हो गई है! जांच में पाया गया है कि 1975 में बिना प्रक्रिया पूरी किए ही पढ़ते कर दिए गए थे इस बात की अनदेखी जमीनों की प्रकृति संक्रमणीय किए जाने के आदेश के समय भी की गई! गुरुवार को मुख्य विकास अधिकारी लिया केजरीवाल ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम सूर्यपाल गंगवार को सौंप दी है इसमें कहा गया है कि पहले पट्टा ग्राम प्रधान स्तर से दिए जाने में एसडीएम का आदेश ही नहीं हुआ! इसके बाद इस तथ्य की अनदेखी करते हुए गलत तरीके से फाइलें तैयार कर और असंक्रमणीय से संक्रमणीय जमीन करने के आदेश हुए इससे सरकारी जमीनों पर कब्जे हुए और इन्हें बेच दिया गया! जिलाधिकारी ने राजस्व अनुभाग को इस जांच और सामने आए तथ्यों की पड़ताल कर आख्या देने के लिए कहा गया है!
मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में बनी 4 सदस्य समिति से जिन जमीनों की जांच सुल्तानपुर रोड पर जिला प्रशासन करा रहा है उन पर कई शैक्षिक संस्थान व्यवसायिक बिल्डिंग और दुकानें बन चुकी हैं इन सभी निर्णय से जुड़े , स्टेकहोल्डर्स के हितों को लेकर भी फैसला जिला प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है!
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