चाइनीज कंपनी कागज पर चालू रखे पावर प्लांट, कहावत है कि घर के लड़का खोही चाटे, समधाने गुड भियाला

 


ज्योति एनवायरोटेक कंपनी के फेल होने के बाद चाइनीज कंपनी इको ग्रीन एनर्जी ने 2017 में जब शिवरी गांव स्थित कचरा प्रबंधन प्लांट का टेकओवर किया था तब तय हुआ था कि वह यहां प्लास्टिक से बिजली बनाने का 15 मेगावाट का पावर प्लांट भी लगेगी! इसका भूमि पूजन भी किया गया! वहीं इसका अनुबंध किया गया कि यहा जो बिजली बनेगी उसे विभाग किस दर पर खरीदेगा! हालांकि 5 साल बाद भी पावर प्लांट कागजों पर ही है! 


राजधानी से रोजाना निकलने वाले लगभग 1500 मीटिंग टन कूड़े में से 600 से 700 मीटिंग टन कूड़ा का निस्तारण हो रहा है! 3 साल से कचरा प्रबंधन के नाम पर चाइनीज कंपनी , इकोग्रीन पैसा बचाने के लिए प्लांट पर आने वाले कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण नहीं कर रही है! जबकि इसी काम का वह हर माह 8 से 10 करोड़ का बिल बना रही हैं! ऐसे में शिवरी गांव स्थित कचरा प्रबंधन प्लांट पर 8 लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ बन गया है! 


पीएस नागार्जुन जो, चाइनीज कंपनी इको ग्रीन के सीईओ हैं उन्होंने कहा कि 15 दिन में प्लांट की क्षमता बढ़ जाएगी! विद्युतीकरण का काम खराब होने से कूड़े के निस्तारण के लिए अभी जो मशीनें चल रही है! इससे रोजाना 600 से 700 मीट्रिक टन कूड़े का रोजाना निस्तारण हो रहा है! फिर से प्लांट पर विद्युतीकरण कराया गया है जिससे 6 मशीनें चलाई जा सकेंगे इससे रोजाना लगभग 2200  मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण होने लगेगा! इससे प्लांट पर जमा कूड़े का पहाड़ भी कम हो जाएगा! 


भारत सरकार महानता के उच्च शिखर पर है! जहां भारत भुखमरी की सूची में 101वे स्थान पर हैं! वही हम दूसरे देशों की मदद करने में पीछे नहीं हटते क्योंकि हम सनातन परंपरा के मानने वाले हैं! दूसरों की भूख प्यास और परेशानी को नहीं देख सकते ! यह अलग बात है कि चीन अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आता है और हमारी सीमा में 100 घरों का गांव बसा लिया है! हम भारत के लोग गांधी को मानने वाले हैं! इसलिए जब कोई एक गाल पर थप्पड़ मारता है तो हम अपना दूसरा गाल भी थप्पड़ सहन करने के लिए उसके सामने कर देते हैं! यह भी अलग बात है कि कभी कदार दीपावली जैसे महापर्व पर हम चीन का विरोध करने के लिए अपने घरों में चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर, चीनी झालरों को नहीं लगाते हैं! लेकिन हमारी भारत सरकार चीन को बड़े-बड़े ठेके देती है! इस बात से ऐसा मालूम होता है कि भारत में टेक्नोलॉजी की कमी है इसीलिए बड़े बड़े ठेके विदेशी कंपनियों को दिए जाते हैं जबकि विदेशों में अच्छे इंजीनियर हमारे भारत देश के ही हैं! उन्हीं के सहारे उन विकासशील देशों की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है और हम डॉलर के मुकाबले पीछे चले जा रहे हैं! आज हमारे देश की रुपए की हालत इतनी खस्ताहाल हो गई है कि $1 भारत के ₹80 के पार हो गया है फिर भी हम मोदी जी के उस भाषण को हमेशा ध्यान में रखते हैं कि, उन्होंने कहा था क्या कारण है देश का रुपया डॉलर के मुकाबले पतला होता चला जा रहा है यह हम बर्दाश्त नहीं कर सकते लेकिन जब देश के प्रधानमंत्री बने उसके बाद रुपए की क्या हालत हो गई है यह सबके सामने है! चुनाव में भी मोदी साहब ने कहा था कि देश को बिकने नहीं दूंगा! देश को झुकने नहीं दूंगा! यह हमको बताने की जरूरत नहीं है सभी लोग जानते हैं कि देश की संपत्ति कितनी बिक गई है! यह भी कहावत है कि दम बनी रहे घर चुआ करें, अर्थात बातें करने और भाषण देने में कोई टैक्स तो लगता, इसलिए आजाद भारत में जो मर्जी हो बोलते रहो! 

भारत में 92 चीनी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 80 कंपनियां हैं जो 'सक्रिय' रूप से कारोबार करती :भारत में कई चीनी कंपनियां बिज़नेस कर रही हैं और चीन और भारत के बीच सीमा विवाद और व्यापार विवाद हमेशा चर्चा में रहता है. यही कारण है कि भारतीय नागरिक चीनी उत्पादों और कंपनियों का बहिष्कार करने की मांग करते हैं! 

भारत सरकार चाहकर भी चीनी कंपनियों को भारत में व्यापार करने से नही रोक सकती है क्योंकि दोनों देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश हैं और निर्बाध व्यापार को बढ़ावा देना इस संगठन का प्रमुख उद्येश्य है! 

ऑटोमोबाइल उद्योग (40%), धातुकर्म उद्योग (17%) , पावर (7%) , निर्माण (5%), सेवाएं (4%)! भारत अपने कुल निर्यात का 8% चीन को भेजता है जबकि चीन अपने कुल निर्यात का केवल 3% भारत को भेजता है! 

भारत में प्रमुख चीनी कंपनियों की सूची: चीनी निवेशकों ने भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग में अपने कुल निवेश का 40% निवेश किया है. वीवो, वनप्लस, हुआवेई, शाओमी, हायर, वोल्वो, ओप्पो, मोटोरोला और कुछ लोकप्रिय चीनी कंपनियां हैं जो भारत में हैं. आइये इस लेख में जानते हैं कि भारत में कौन सी कम्पनियाँ काम कर रहीं हैं



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