नॉन ब्रांडेड आटा दाल और अनाज पर 5 फीसद जीएसटी 2 से 5 रुपए प्रति किलो बढ़ेंगे दाम

 

जीएसटी की मार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर

GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स)। जो बहु स्तरीय एवं स्थान आधारित अप्रत्यक्ष कर है यह वस्तुओं की सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में नान ब्रांडेड आटा दाल और आवाज पर भी अब पांच फीसद जीएसटी लगाने का निर्णय लिया गया है इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा वहीं व्यापारियों ने व्यापारियों में इसे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ने वाला बताया है! इसलिए इस निर्णय का विरोध किया है और सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की है! 



जुलाई 2017 में नान ब्रांडेड आटा, दाल, चावल और अनाज पर सरकार ने जीएसटी 0 फीसद किया था! उस समय उपरोक्त वस्तुओं का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने अपना जीएसटी पंजीकरण सरेंडर कर दिया था! ऐसे में व्यापारियों को दोबारा पंजीकरण कराना होगा! 

नाग ब्रांडेड आटा दाल और अनाज पर 5 फीसद जीएसटी लगाने से 2 से ₹5 प्रति किलो तक बढ़ेंगे दाम! लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र ने बताया कि सरकार ने खुद कोरोना के वक्त 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया! यह सरकार का आंकड़ा है! इसका अर्थ सरकार खुद मानती है कि इस वर्ग को फ्री राशन की जरूरत है! एक व्यापारी नेता के मुताबिक आने वाले दिनों में आटा, दाल, बेसन, चना सहित अन्य अनाज के कट्टे पर 5% तक टैक्स लगेगा! इससे खुले में 2 से 5 रुपए प्रति किलो तक हर वस्तु के दाम बढ़ जाएंगे! इस फैसले के विरोध में प्रदेश के फ्लोर राइस दाल मिलर्स और गल्ला व्यापारियों के संगठनों की बैठक की जाएगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी ! 

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