कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के 30 जनवरी को श्रीनगर में समापन कार्यक्रम में समान विचारधारा वाले 21 राजनीतिक दलों को समापन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
यदि कांग्रेस के आमंत्रण में ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, मायावती, शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, लालू यादव आ जाते हैं तो खरगे का यह मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष ने जिन दलों को पत्र लिखा है उसमें तृणमूल कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, शिवसेना, तेलुगू देशम पार्टी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, डीएमके, सीपीआई, सीपीआईएम, जेएमएम, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हम, पीडीपी, एनसीपी, एमडीएमके, वीसीके, आईयूएमएल, केएसएम, आरएसपी प्रमुख हैं। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला, राजद से लालू यादव, तेजस्वी यादव और शरद यादव को भी आमंत्रित किया गया है।
इन दलों के प्रमुखों को लिखे पत्र में यह भी कहा कि उनकी उपस्थिति से यात्रा के सत्य, करुणा और अहिंसा रूपी संदेश को मजबूती मिलेगी।, मैं आप लोगों को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित करता हू! भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर श्रीनगर में बड़े आयोजन की तैयारी, यात्रा के शुभारंभ के मौके पर भी हमने समान विचारधारा के दलों को बुलाया था।अब तक डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों के नेता इस यात्रा में शिरकत कर चुके हैं। वहीं खरगे ने लिखा कि समापन के मौके पर हम नफरत व हिंसा के खिलाफ अपनी लड़ाई और समाज में प्रेम, सत्य, अहिंसा की भावना फैलाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करेंगे। आज जब लोगों के मुद्दों से ध्यान भटकाने का सोचा-समझा सिलसिला चल रहा है तो वहां यात्रा वहां आम लोगों से जुड़े मुद्दों को एक प्रभावशाली और मजबूत आवाज बनकर उभरी है। खरगे ने सियासी दलों के नेताओं से अपील की कि उम्मीद है कि आप सब इसमें शामिल होकर यात्रा के संदेश और भावों को मजबूती प्रदान करेंगे।
मिशन 2024 की राह यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में जीत के बिना पूरी नहीं हो सकती है। लोकसभा की 543 सीटों में से 210 सीटें इन चार राज्यों से ही आती हैं। खास बात है कि इन राज्यों में कांग्रेस की जमीन बिल्कुल ही कमजोर है। यूपी में समाजवादी पार्टी, महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना, पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बिहार में राजद-जदयू के बिना विपक्ष की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। इन राज्यों में ये दल कांग्रेस को कभी बड़ा भाई मानने को तैयार ही नहीं होंगे।

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