Caste Census: जाति जनगणना पर नीतीश कुमार को मिला शरद पवार का साथ, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई बार कहा कि जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी
संविधान सभा में, बाबासाहेब अम्बेडकर ने अकेले ओबीसी की लड़ाई लड़ी और यदि यह पर्याप्त नहीं था तो उन्होंने 26 जनवरी 1950 को ओबीसी नेताओं को अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया!
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता शरद पवार ने कहा कि हम कई वर्षों से राज्य में जाति आधारित जनगणना की मांग करते आ रहे हैं! बिहार में दो चरणों के सर्वे में जाति आधारित संख्या का पता लगाया जाएगा! हालांकि इसे जातिगत जनगणना नहीं कहा गया है लेकिन यह साफ है कि इसमें जाति संबंधी आंकड़े इकठ्ठा किए जाएंगे!
बता दें कि कुल आबादी का लगभग 80 फीसद पिछड़े हैं! भ्रम फैलाने वाले लोग पिछड़े का अर्थ सिर्फ यादव जाति से लगाते हैं जबकि पिछड़ी जाति में कई जातियां आती हैं जिनकी आबादी लगभग 80 फीसद है! जिस दिन 80 फीसद लोग जाग जाएंगे और जातिगत जनगणना (caste census) की मांग करने लगेंगे उस दिन बहुतों का खेला खत्म हो जाएगा और पिछड़ों का अधिकार 27 फीसद से बढ़कर 80 फीसद हो जाएगा! जो (caste census) का विरोध कर रहे हैं उनको इस बात का डर है कि हमारी हिस्सेदारी 20 फीसद है और हम 80 फीसद पदों पर काबिज हैं! यदि जातिगत जनगणना (caste census) हो गई तो सरकारी योजनाओं के लाभ में संख्या के आधार पर पिछड़ी जाति के लोग 80 फीसद के हकदार हो जाएंगे! जब अपर कास्ट को 10 फीसद आरक्षण मिला तो backwoed class) के लोगों ने इसका विरोध नहीं किया! माना जाता है कि बीजेपी (upar caste) की पार्टी है इसीलिए जातिगत जनगणना कराने को इनकार कर दिया है! इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली गई! यही लोग जब कांग्रेस में थे उस समय भी जातिगत जनगणना का डाटा सार्वजनिक नहीं होने दिया! विपक्ष में जब बीजेपी थी तो जातिगत जनगणना की बात करती थी लेकिन जब सत्ता में है तब पलटी मार रहे! करोना कॉल में 80 करोड़ लोगों को फ्री में राशन दिया जा रहा है इसकी गणना बीजेपी के पास है लेकिन जातिगत जनगणना कराने मैं बीजेपी को दिक्कत आ रही है! बीजेपी की मनसा को पिछड़े वर्ग के लोग अच्छी तरह समझ गए हैं और कमोवेश इसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में होगा ये नहीं यह समय बतायेगा! इतना तो तय है 80 फीसद लोग जाग गए हैं और अब चुप नहीं बैठेंगे! पिछड़ों का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनेता कांग्रेस के जहाज को डुबो दिया है तो बीजेपी कौन सी बड़ी बात है!
कहा जाता है कि दलितों को आरक्षण मिलने से उन्हें सरकारी नौकरियों में ज्यादा अवसर मिलते हैं और उनकी भागीदारी काफी ज्यादा होती है! हालांकि, जमीनी स्तर पर हकीकत उलट है! ज्यादातर सरकारी संस्थाओं यूनिवर्सिटी सुप्रीम कोर्ट सभी जगह पिछड़े और दलितों की संख्या बहुत ही कम है!
आज कलयुग की तो बात छोड़ दो त्रेता और द्वापर में भी लोगों का हक मारने की कोशिश की गई जिससे राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ और पांडवों को बनवास के साथ ही अज्ञातवास का सामना करना पड़ा!
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