सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागने पर आत्मा को सदगित मिलती है

 


देशवासियों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं! हमारे देश में हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई कारण और सनातन परंपरा रही है! यह अलग बात है कि हम उस कारण को नहीं जानते हैं लेकिन त्यौहार को बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते है! इसके साथ ही आपसी मनमुटाव को भी भुलाने की परंपरा रही है! 

भीष्म पितामह छः महीने तक बाणों की शैय्या पर लेटे सोच रहे थे कि मैंने कौन-सा पाप किया है जो इतना कष्ट सहना पड़ रहा हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने उनके उस पाप के बारे में बताया था जिसके कारण उन्हें यह कष्ट उठना पड़ा रहा है! बाणों की शरशय्या पर भीष्म प्राण क्यों नहीं त्यागते हैं, जबकि उनका पूरा शरीर तीर से छलनी हो जाता है फिर भी वे इच्छामृत्यु के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होते हैं। भीष्म यह भलीभांति जानते थे कि सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागने पर आत्मा को सदगित मिलती है! वे सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते हैं।

आज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है! मोक्षदायिनी गंगा सहित सभी नदियों में स्नान कर लोग दान पुण्य कर रहे हैं! देश के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है! कर्नाटक में इसे संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, पंजाब और हरियाणा में माघी, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण, उत्तराखंड में उत्तरायणी, उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी आदि जैसे नामों से भी जाना जाता है.

इस मौके पर पीएम मोदी ने सभी के जीवन में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य और खुशियों की कामना की है। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने भी इस अवसर पर देश के लोगों को, मकर संक्रांति की बधाई दी है। उन्‍होंने कहा कि यह त्‍योहार लोगों के जीवन में उत्‍साह, स्‍वास्‍थ्‍य और समृद्धि लेकर आएगा।

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