डेढ़ महीने पहले बनी ब्रिटिश पीएम लिज ट्रस ने सुस्त होती अर्थव्यवस्था के बीच टैक्स कटौती का चुनाव में जनता से किया था! वादे को पूरा करने में नाकाम रहने पर इस्तीफा देना पड़ा ! वादा था महंगाई से निजात दिलाने का। अर्थव्यवस्था की हालत डवाडोल थी लेकिन लोकलुभावन वादों के दम पर सरकार भी बन गई। आलोचको को अनसुना कर टैक्स कटौती का ऐलान भी हो गया। लेकिन हालत बिगड़ गए। महंगाई बेकाबू होने लगी। शेयर बाजार लुढ़कने लगा। मुद्रा कमजोर होने लगी। अर्थव्यवस्था खस्ताहाल होने लगी। वादे पूरे करने में नाकाम साबित हो रहे प्रधानमंत्री ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। लिज ट्रस के इस्तीफे से फ्री की रेवड़ियां बांटने वाले नेताओं को सीखना चाहिए!
ब्रिटेन का मौजूदा संकट भारत के लिए भी सबक है। इसके साथ ही चुनाव में मुफ्त की रेवड़ियों के वादे करने वाली पार्टियों और नेताओं के लिए भी सीख है। चुनावी वादे पूरे न होने पर भारत में इस्तीफे की कल्पना ही नहीं की जा सकती। श्रीलंका में, ना सिर्फ प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा बल्कि पूरा मुल्क कई हफ्तों तक अराजकता की आग में जलता रहा। लेकिन अपने यहां तो ज्यादातर पार्टियां मुफ्त की रेवड़ियों वाले वादों को जैसे सत्ता तक पहुंचाने वाली सीढ़ी समझती हैं। इसी माह चुनाव आयोग ने लोकलुभावन वादों पर सख्त रुख अपनाया तो राजनीतिक पार्टियां तिलमिला गईं। इसे 'लोकतंत्र की ताबूत में कील' तक करार दे दिया गया मुफ्त की रेवड़ियों का चुनावी वादा जन्मसिद्ध अधिकार हो। लोकतंत्र का प्राण हो। चुनाव आयोग ने 4 अक्टूबर को राजनीतिक दलों को लेटर लिखा कि सिर्फ वादों से काम नहीं चलेगा, ये भी बताना होगा कि वे पूरे कैसे होंगे, उनके लिए पैसे कहां से आएंगे। आयोग ने कहा कि सिर्फ वैसे चुनावी वादें किए जाने चाहिए जिनको पूरा करना मुमकिन हो।
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में 'मुफ्त की रेवड़ी कल्चर' पर सवाल उठाते हुए उस पर रोक की मांग की है। चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने या मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि राजनीतिक दलों की ओर से सरकारी फंड से चुनाव से पहले वोटरों को उपहार देने का वादा स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है। यह एक तरह की रिश्वत है। इसमें केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है।
सरकारी नौकरी चाहिए? 9.25 लाख भर्तियां और होंगी, 75 हजार को अपॉइंटमेंट लेटर देंगे PM मोदी
22 करोड़ ने किया अप्लाई और सिर्फ 7.22 लाख को मिली जॉब्स, इतने पद हैं अभी भी खाली! ००
हाल ही में लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि सेंट्रल डिपार्टमेंट में कितने पद खाली हैं. लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, देशभर में 9 लाख 79 हजार 327 पद अभी खाली हैं. इन पदों में ग्रुप-ए के 23,584, ग्रुप बी के 118801 और ग्रुप सी के 836936 पदों को नौकरी का इंतजार है. यानी अभी लाखों पदों पर भर्ती किया जाना बाकी है!
वहीं, जब पिछले साल ये डेटा जारी किया गया था तो उस वक्त 1 मार्च 2020 तक देश में 8.72 लाख पद खाली थे. अब ये ही संख्या बढ़कर करीब 10 लाख तक पहुंच गई है. उस वक्त करीब 40 लाख सरकारी पद थे, जिसमें 31 लाख 32 हजार कर्मचारी काम कर रहे थे. अब इन खाली पदों में इजाफा हो गया है!
अब बात करते हैं कि कितने लोगों को नौकरी मिली है. पिछले पांच साल में यूपीएससी की ओर से 25,267, एसएससी की ओर से 2,14,601, आरआरबी की ओर से 2,04,945 लोगों को नौकरी दी है! वहीं, पिछले आठ सालों में 7.22 लाख लोगों को सेंट्रल गवर्मेंट की जॉब मिली है.! 22 करोड़ लोगों ने इसके लिए अप्लाई की है!
कहावत बहुत अच्छी है कि आप करें तो रासलीला हम करें तो कैरेक्टर ढीला अब हम बात करेंगे कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या-क्या वादे किए थे! हड़ताल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था इसके उलट 4.7 आज नौकरी चली गई किसानों की लागत का 50 फीसद मुनाफे की बात की गई थी और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा था लेकिन वर्तमान में विकास दर 2.9 है 28 साल लग जाएंगे होने में काला धन देने का वादा किया था सभी के खाते में 1500000 जमा करने का वादा था जनता की जेब से पैसे निकल गए दलित पिछड़ों को न्याय दिलाने का वादा था इसके उलट दलितों के आरक्षण पर हमला हुआ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया गया था बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा उल्टा हो गया उन्नाव कटवा मजफ्फरपुर हरिद्वार हाथरस आदि कांड जो दर्दनाक हुए हैं पेट्रोल डीजल सस्ता करने का वादा किया गया था जिसके बारे में जनता पूरी तरह जान गई है कि पेट्रोल सस्ता हुआ या महंगा स्मार्ट सिटी बनाने का वादा था कहां-कहां बने यह हमारे दर्शक खुद समझें सेना को मजबूत करने का वादा लेकिन अग्निदेव भर्ती लाकर सेना में जाने वाले लोगों का मनोबल पर प्रहार किया गया है रुपए को मजबूत बनाने का वादा $1 ₹40 के बराबर जो ₹83 पार हो गया है इसे देश की साख बची है या नहीं यह तो जनता ही समझे प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था कि जब रुपया गिरता है तो देश की साख गिरती है!
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