चल उड़ जा रे पंछी अब यह देश हुआ बेगाना...भगवान अपने श्री चरणों में नेताजी मुलायम सिंह यादव को जगह दे

 


भारत महान रहा है है और रहेगा! यह वीरों की धरती है यहां वीर ही जन्म लेते हैं! ईश्वर ने भी जन्म और मरण के कालचक्र को नहीं रोका है! जन्म के बाद मृत्यु निश्चित है! और यथार्थ सत्य है! सनातन परंपरा के मानने वाले हम भारत के लोग विचार में भेदभव हो सकता है, लेकिन शरीर से नहीं और जब कोई जीवन का सत्य, मृत्यु को प्राप्त करता है तो उसके सभी अवगुण हर आत्मा माफ कर देती है और, सदगुणों को सजोकर रखती है!

1996 में जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने उसके पहले जब जवान शहीद होता था तो उसका शव उसके घर नहीं पहुंचाया जाता था! सेना के जवान खुद अंतिम संस्कार करते थे और शहीद के घर उसकी एक टोपी भेज दी जाती थी! मुलायम सिंह यादव ने यह नियम बदला और कानून बनाया कि जब भी कोई जवान शहीद होगा तो उस का पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उसके घर ले जाया जाएगा! जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पार्थिव देह के साथ उसके घर जाएंगे! 

प्रदेश के पहले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के रूप में डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में की गई थी! 

गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क अब मुलायम सिंह यादव की याद दिलाएगा! 2004 में बतौर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव एक कार्यक्रम में क्रिश्चियन डिग्री कॉलेज आए थे यहां आकर उन्होंने शिक्षकों की मांग पर सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की घोषणा की जिस पर शिक्षकों में उनका अभिनंदन किया था! अल्पसंख्यक कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को भी सरल किया! 

22 जनवरी 2004 को लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के कार्यक्रम में उन्होंने यूपी यूनिवर्सिटी एक्ट में संशोधन कर विश्वविद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक शिक्षकों के नियमितीकरण की घोषणा की थी!

 समाजवादी विचारधारा के मानने वाले धरतीपुत्र माननीय मुलायम सिंह यादव स्वर्गवासी हो गए हैं! इस दुख की घड़ी में हम दुख और खुशी तो नहीं जाता पाएंगे लेकिन इतना जरूर कहेग कि एक शहीद जवान की तरह उनको हंसकर विदाई देंगे और गर्व करेंगे कि वह हमारे देश की रक्षा सुरक्षा संरक्षा एवं अखंडता के लिए अपने आप को शहीद कर दिया! जिस तरह बाप अपनी बेटी को विदा करते हैं ममता और प्यार के भाव में रोते भी है और लोकरीति के चलते हंसकर विदाई दे देते है! उसी तरह आज हम लोकरीति का निर्वाहन कर जन्म-मृत्यु के सत्य को मानते हुए अपने नेता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को हंसकर अंतिम विदाई देंगे! साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि ऐसे ही अपने अंश को हमारे बीच फिर किसी न किसी अवतार में लोक कल्याण के लिए भेजने की कृपा करें! 

तीन बार मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, 7 बार सांसद और 8 बार विधायक रहे माननीय मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा के सैफई में किसान परिवार में हुआ था! जमीनी सियासत के दम पर वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 1996 से 98 तक रक्षा मंत्री भी रहे! 8 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे अभी वह मैनपुरी के सांसद थे! 

स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को अंतिम विदाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के वर्तमान सीएम नीतीश कुमार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, सीएम योगी आदित्यनाथ, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा सहित कई सियासी हस्तिया मंगलवार को मुलायम को अंतिम विदाई देने सैफई में रहेंगे! 

मुलायम सिंह यादव किसान की सेवा करना अपना धर्म मानते हैं। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में कर्जा माफ किया। इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को मिला। जिन किसानों के खेत कर्ज की वजह से नीलाम हो रहे थे। इसके बाद ही कर्ज माफी का वीणा उठाया। सिंचाई योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जसवंत नजर में सिंचाई के तमाम ऐतिहासिक कार्य हुआ हैं। किसान की फसल बर्बाद न हो, इस वजह से खुद अपने कार्यकाल में नलकूप लगवाने से लेकर नहर खुदवाया। किसानों का आह्वान किया कि अपनी खसरा और खतौनी को दुरुस्त रखें, ताकि कोई खेत पर कब्जा नहीं कर पाए। मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि जिसका मकान होता है, वह किराया नहीं देता। जिसके पास खतौनी होगी वही खेत का मालिक है और वह लगान नही्ं  देगा।

जब कोई जवान देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए गोली चलाता उसमें कभी-कभी कुछ निर्दोष लोग भी जवान की गोली का शिकार हो जाते हैं ऐसा ही स्वर्गीय नेताजी माननीय मुलायम सिंह यादव अपने नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के समय कुछ निर्दोष लोग पुलिस की गोली का शिकार हो गए होंगे! 

नेताजी को मुल्ला, मुलायम तक कहा गया लेकिन उन्होंने बगैर भेदभाव किए हुए अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाते हुए यह कदम उठाना पड़ा होगा! यदि उनकी जगह उस समय कोई और होता तो वह भी धर्मनिरपेक्षता का पालन करते हुए यही करता जो नेता जी माननीय मुलायम सिंह यादव ने किया! 




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