नोटबंदी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से मांगा विस्तृत हलफनामा


सुप्रीम कोर्ट शीर्ष अदालत ने 500 और ₹1000 की करेंसी को बंद करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई से विस्तृत हलफनामा देने को कहा है! सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा को लेकर अपनी लक्ष्मण रेखा से वाकिफ हैं! हालांकि 2016 के नोट बंदी के फैसले की पड़ताल करेंगे ताकि यह पता चल सके कि मामला केवल अकादमिक कवायद तो नहीं था ! पीठ ने कहा जब संवैधनिक महत्व के मुद्दों को संदर्भित किया जाता है तो उनका जवाब देना कोर्ट का कर्तव्य है! पीठ ने कहा क्या आरबीआई अधिनियम के तहत नोटबंदी की जा सकती है? इसके लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं? इन सवालों पर गौर करने की जरूरत है! 

एक याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के लिए संसद से अलग अधिनियम लाने की जरूरत है! आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) के तहत केंद्र सरकार नोट की कुछ सीरीज रद्द कर सकती है पूरी करेंसी नहीं! नोटबंदी से लोगों का रोजगार छिन गया है! 

 केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था इसके बाद देशभर की अदालतों में कई मामले आ गए थे तब सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में लंबित तमाम नोटबंदी के मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी और मामलों को पांच सदस्य पीठ को भेज दिया था! 500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसले को चुनौती देते हुए 58 याचिकाएं दाखिल की गई है! 

जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवाई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी राम सुब्रमण्यम, और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने बुधवार को केंद्र से आरबीआई को भेजे गए सरकार के पत्र , आरबीआई बोर्ड के फैसले और नोटबंदी की घोषणा से जुड़ी फाइलें तैयार रखने के लिए कहा है! 5 सदस्यीय पीठ ने कहा नोटबंदी न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है या नहीं इसका जवाब देने के लिए हमें सुनवाई करनी होगी! मामले में अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी! 

 दूसरी तरफ वित्‍त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी 7.30 फीसद तक नीचे गिर गई है, जो 40 साल पहले 1979 के वित्‍त वर्ष के बाद सबसे खराब प्रदर्शन है। उस समय देश की जीडीपी 5 फीसदी तक गिर गई थी।आंकड़ों को देखने पर पता चलता है क‍ि जिस साल नोटबंदी हुई उसके बाद से देश की जीडीपी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। रही सही कसर कोरोना वायरस और उसके बाद देश में लगे लॉकडाउन पूरी कर दी। देश में आर्थिक गतिविधियां बंद होने के कारण देश की जीडीपी पर इसका असर पड़ा है। जबकि कृषि क्षेत्र के काफ़ी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है! 



सरकार इस गिरावट को स्वीकार करने को तैयार नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेन में कहा, ‘भारत काफ़ी मज़बूत हुआ है! स्पेन की कंपनियों के लिए भारत में निवेश का यह अच्छा समय है! भारतीय अर्थव्यवस्था की ज़ोरदार वृद्धि से देश में स्पेन की कंपनियों के लिए वहां बुनियादी ढांचा, रक्षा, पर्यटन और उर्जा क्षेत्र में निवेश के बड़े अवसर हैं.’! 

अर्थव्यवस्था को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार तमाम बड़े दावे कर रही है कि जीडीपी के गिरने का नोटबंदी से कोई लेना देना है!  इसको नोटबंदी से जोड़ना सही नहीं होगा! सीएसओ के आनंद कुमार ने कहा है कि जीडीपी में गिरावट आने की मुख्य वजह ये है कि सर्विस सेक्टर ने अच्छा परफॉर्म किया है, और मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट से आई है! 



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