आपराधिक घटनाओं के मामले में पुलिसिया जांच पर गंभीर टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने झांसी के संजीव उर्फ कल्लू सेठिया की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि पैसे का प्रभाव पुलिस के स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच में सबसे बड़ी बाधा है! समाज के प्रभावशाली लोग पुलिस पर पैसे के जरिए अपने पक्ष में रिपोर्ट लगाने का दबाव डालते हैं! कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ अपराध के लिए कुछ भी सामग्री नहीं है लेकिन पुलिस ने दबाव के तहत उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है याची पर हत्या के प्रयास दंगा शांति भंग धाराओं में झांसी के मोरानीपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कोर्ट ने कहा कि आजादी के बाद देश को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित किया गया राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए पुलिस पर अधिक काम का बोझ बढ़ गया है!
सत्यमेव जयते! यह अलग बात है कि जब अपराधिक मामले निचली अदालत या फिर हाई कोर्ट जाते हैं तो उसमें एक पक्ष को निराशा लगना लाजमी है! वहां तो सिर्फ सत्य की जीत होती है और असत्य पर पराजय भारी पड़ता है! आज एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी आई है! वह 100 फीसद सही है! इसमें बट लेकिन परंतु की कोई गुंजाइश नहीं है! इसकी लोग भूरी -भूरी प्रशंसा कर रहे हैं! ऐसी टिप्पणियों से ही जनता का कोर्ट पर भरोसा आज भी कायम है! लोगों का मानना है कि न्यायालय में सत्य की विजय होती है! यदि पुलिस बगैर दबाव और बगैर पैसे के लालच के समय पर काम करे तो अपराधों पर पूरी तरह अंकुश लग जाएगा!
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