सीएम नीतीश कुमार, लालू यादव से मुलाकात कर ‘BJP मुक्त भारत' बनाने का लिया संकल्प लिया : केसीआर




बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी पर चुटकी ली है! कहा कि जो पार्टी विपक्ष को खत्म करना चाहती थी, अब उसी के तोते उड़ चुके हैं!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबा राजनीतिक अनुभव और साफ-सुथरी छवि के ओबीसी नेता हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं उन्होंने कहा कि जो 2014 में आए हैं वह 2024 में नहीं आएंगे इतना तो होता है विपक्ष में प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा यह तो अभी नहीं कहा जा सकता है! इसी को लेकर नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने में लग गए हैं यह लगभग तय है कि नवीन पटनायक, जगन रेडी, ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश में एससी एसटी का बड़ा चेहरा मायावती, अखिलेश यादव और ओवैसी यदि एक साथ सभी आ जाते हैं तो विपक्ष की आंधी को रोककर 50 सीटों पर समेटा जा सकता है! ऐसा नीतीश कुमार का मानना है! 

तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नेता केसीआर ने पटना में बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और नीतीश, लालू यादव  से मुलाकात कर ‘BJP मुक्त भारत' बनाने का लिया संकल्प लिया ! 




जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं! हो सके तो यही लगता है कि 2024 का लोकसभा चुनाव अगड़े बनाम पिछड़े एससीएसटी, ओबीसी, माइनॉरिटी और मंडल कमंडल को लेकर होने वाला है! यह जातियां कुल जनसंख्या का लगभग 85 फीसद है! इसी को लेकर कहा गया था कि ओबीसी बांध लो गांठ अब 100 में से 60 हमारा हक है!





 इन जातियों, के विरोध में भाजपा की नीति को समझाने में यदि विपक्ष कामयाब हो गया तो 2024 का लोकसभा चुनाव विपक्ष आसानी से जीत जाएगी यह अलग बात है कि अभी तक प्रधानमंत्री का चेहरा विपक्ष के सामने नहीं है! मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने को प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को नकार दिया है! ओबीसी एससी एसटी और माइनॉरिटी को साधने में लालू प्रसाद यादव हमेशा से कामयाब रहे हैं और कभी झुकना नहीं सीखा! जेल को स्वीकार किया यदि लालू चाहते तो उनको चारा घोटाले से छूट मिल जाती और जेल जाने से बचे जाते हैं लेकिन उन्होंने अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया! उन्हीं के फार्मूले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब खुलकर भाजपा के सामने आ गए हैं। वह 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। इस अभियान के, तहत तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर गए जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात होगी इसके पहले कुमारस्वामी, CPI-M नेता सीताराम येचुरी समेत कई नेताओं से उनकी मुलाकात हो चुकी है। लेकिन खुद को पीएम की रेस से बाहर बताने वाले नीतीश ने यह नहीं बताया कि उनकी राहुल गांधी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ क्या बात हुई। 





बिहार की जनता राजनीतिक रूप से बहुत सजग है और ऐसे में CBI के छापे कहीं भाजपा का ही नुकसान कर दें तो कोई आश्चर्य नहीं होगानीतीश कुमार यूपी-बिहार की 120 सीटों में उलझे जातीय समीकरणों के बीच सबसे  अहम ओबीसी चेहरा हैंहैं! बिहार में वो कुर्मी चेहरे के तौर देखे जाते हैं और यूपी में कुर्मी एक प्रभावशाली ओबीसी जाति है जो अभी तक बीजेपी के साथ हैं! इसी तरह टीएमसी नेता ममता बनर्जी भी खुद को कांग्रेस से अलग कर केंद्र में स्थापित करने की कोशिश में हैं! 


इधर बीजेपी भी नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की कोशिशों के जवाब में मास्टरप्लान तैयार कर लिया है।बीजेपी जहां अपने मजबूत संगठन, आरएसएस और पीएम मोदी के चेहरे के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटी 

 देश की राजनीति ओबीसी मुद्दा के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है, सीएम नीतीश कुमार खुद ओबीसी कुर्मी समुदाय से आते हैं।  बिहार के अलावा यूपी, मप्र व राजस्थान में कुर्मी समुदाय बीजेपी को वोटर है। अगर नीतीश कुमार विपक्ष की तरफ से पीएम उम्मीदवार बनते हैं तो बीजेपी की परंपरागत वोट में बड़ी सेंधमारी हो सकती है। जहां बीजेपी ने पीएम मोदी को ओबीसी चेहरा पेश कर अपनी वोट बैंक को और मजबूत किया था तो वहीं विपक्ष नीतीश को मोदी के सामने उतारकर ट्रंप कार्ड खेल सकता है। नीतीश ही साफसुथरा ओबीसी चेहरा और कोई नहीं हैं। 



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