प्रधानमंत्री मोदी शिन्जो आबे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जापान पहुंच चुके हैं!

 शिंजो आबे को भारत और जापान के संबंधों को मजबूत करने वाले जापानी प्रधानमंत्री के तौर पर याद किया जाता है! प्रधानमंत्री मोदी शिन्जो आबे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जापान पहुंच चुके हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में तो शामिल होंगे ही, साथ ही आबे की पत्नी और पीएम फुमियो किशिदा से मिलकर संवेदना भी व्यक्त करेंगे! 

भारत के कुल आबादी का 70 फीसद जनसंख्या परोक्ष और अपरोक्ष रूप से किसानी पर आधारित है यदि किसान खुशहाल होगा तो भारत को महान बनने में कोई ताकत रोक नहीं सकती! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी शिंजो अबे के राज्य की अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गए इसमें कोई दिक्कत नहीं है दिक्कत तब पैदा होती है जब हमारे देश के अन्नदाता को परेशानी होती है! उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती! तीन नए कृषि कानून के विरोध में किसान और उनके नेता दिल्ली के बॉर्डर पर लगभग 13 माह गर्मी जाड़ा और भारी बारिश को सहते हुए आंदोलन जारी रखा! कई मंत्रियों ने और भाजपा नेताओं ने किसानों के आंदोलन को निष्फल करने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन किसान एकता ने केंद्र की हठधर्मिता वाली सरकार को झुका के रख दिया! प्रधानमंत्री कहते रहे कि हम एक फोन कॉल की दूरी पर है! किसी भी समय किसान बात कर सकते हैं लेकिन 13 माह में किसानों से बात करने के लिए प्रधानमंत्री को 5 मिनट का समय नहीं मिला! आंदोलन के दौरान लगभग 750 शहीद हो गए लेकिन अन्नदाता की शहादत पर दो शब्द बोलने और उनके परिवार के दुख में शामिल होने समय नहीं मिला! हार ना मानने वाले किसान केंद्र की सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया! आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम यह तीनों में कृषि कानून वापस लेते हैं! हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई जिससे हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए! किसानों पर हुए मुकदमे भी वापस लेते हैं और उनको एमएसपी की गारंटी दी जाती है लेकिन आज तक किसानों की मांगे पूरी नहीं हुई हां इतना जरूर है कि जब कोई बड़ा आंदोलन होता है तो उसमें से 12 बड़े नेता उभर कर सामने आते हैं जैसे अन्ना हजारे के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल और किसान आंदोलन के चलते राकेश टिकैत देश दुनिया में अपना स्थान बना चुके हैं! हमारे देश में महंगाई के चलते किसान किसान अपने बच्चों को ना ही ठीक से पढ़ा पाते हैं और ना ही उनकी अच्छी परवरिश कर पाते हैं घर बनाने का सपना तो दूर की बात रही दिक्कत तो और ज्यादा हो जाती है जब किसान कर्ज में डूब कर आत्महत्या कर लेता है और उसका परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ पड़ता है बड़े-बड़े उद्योगपतियों का भारी-भरकम कर्ज माफ कर दिया जाता है लेकिन किसान का कर्जा नहीं माफ किया जाता सबसे बड़ी बात यह है यह कर्जा किसान अपने बच्चों की शादी और पढ़ाई के लिए लेते हैं जिसको वह आसानी से अदा नहीं कर पाते हैं उसके बाद परेशान होकर आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं यदि हमारी सरकार किसानों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें तो किसानों की आत्महत्या में काफी कमी देखने को मिलेगी वैसे भी हम भुखमरी के सूची पर 101 वें स्थान पर हैं यदि हमारा किसान खुशहाल नहीं होगा तो हम शायद भुखमरी के सूची में और आगे बढ़ जाए! 

Post a Comment

please do not comment spam and link

और नया पुराने