ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर वाराणसी जिला अदालत के फैसले को मुस्लिम धर्मगुरु बोले कोर्ट से निराश है! उधर संतों में खुशी की लहर है! लोगों ने बांटी मिठाई! अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी!

 ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर वाराणसी जिला अदालत के फैसले को मुस्लिम धर्मगुरु बोले कोर्ट से निराश है! उधर संतों में खुशी की लहर है! लोगों ने बांटी मिठाई! अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी! 

हिंदू पक्ष ने कहा हम मस्जिद को मंदिर में नहीं बदलना चाहते है सिर्फ उपासना करने दे! 

मैं सबसे पहले बता देना चाहता हूं कि सरकार और मीडिया व धर्म के खिलाफ बिल्कुल नहीं है! जैसा जनता चाहती है! सरकार वैसा ही कार्य कर रही है! यह बात रामचरितमानस में भी कही गई है कि- जाकी रही भावना जैसी तिन देखी प्रभु मूरत तैसी! जनता मंदिर मस्जिद और फिरी का राशन चाहती है! सरकार और मीडिया वही काम कर रही! ऋषि मुनि और साधु संतों का काम था समाज को दिशा देना! तब हर आदमी साधु-संतों की इज्जत और सम्मान करता था लेकिन आज साधु संत मंदिर मस्जिद की बात कर रहे हैं नई पीढ़ी किधर जा रही है इसके बारे में कभी किसी साधु संत ने कोई बयान जारी नहीं किया! आज जो अपराध बढ़ रहे हैं उसका मुख्य कारण है कि कोई भी साधु संत समाज सुधारक की बात करना ही नहीं चाहते! कुछ साधु संत यदा-कदा व्यभिचार में भी लिप्त पाए जाने की खबरें प्रकाशित होती रहती है! 

हिंदू धर्म में त्रेता और द्वापर में कर्म को प्रधान बताया गया है कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन 

रामचरितमानस के अनुसार कर्म प्रधान विश्व रचि राखा जो जैसा करे सो तस फल चाखा! 
कलयुग केवल नाम अधारा यदि कलयुग में आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ ईश्वर का नाम लिया जाता है वही मोक्ष के लिए बहुत है! 

आज देश में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है! महंगाई, शिक्षा स्वास्थ्य, सिंचाई आदि समस्याएं विकराल रूप धारण किए हुए हैं! भुखमरी के सूची में हम 101 वें स्थान पर हैं! शनिवार और मंगल के दिन चार पूड़ी के लिए कितनी भीड़ लगती है इसे देखकर आम आदमी हैरान रह जाएगा कि हमारे देश में कितने लोगो को पेट भर खाना नहीं मिल पा रहा! जिस पर हम सबको मिलकर लड़ना होगा नहीं तो आने वाले समय में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे! 
ज्ञानवापी मामले को लेकर वाराणसी जिला अदालत में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की! कोर्ट ने कहा हिंदू पक्ष ने कोई नए निर्माण की मांग नहीं की! अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी! 
15 अगस्त 1947 के स्वरूप को भी अंतिम माने! 
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर अदालत गए हिंदू पक्ष का मुख्य तर्क था कि वे किसी संपत्ति या जमीन पर कब्जा नहीं करना चाहते! किसी मस्जिद को मंदिर नहीं बनवाना चाहते!  केवल प्लाट संख्या 9130 पर अपने ईश्वर की उपासना, दर्शन भोग और आरती का अधिकार चाहिए! 
याचीगणो का कहना था कि श्री आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंगम देवी मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदी जी और दृश्य-अदृश्य देवी देवता मंडल तीर्थ अस्तित्व रखते हैं! इसे प्राचीन श्री आदि विश्वेश्वर मंदिर परिसर कहा जाता है! उन्हें इनकी उपासना और दर्शन करने से न रोका जाए! बचाव पक्ष से कहा जाए कि वह इस प्लाट में कोई तोड़फोड़ न करें, न इसे य किसी हिस्से ढहाए! उपासना में बाधा उत्पन्न ना करें उत्तर प्रदेश सरकार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा जाए! !
मुस्लिम पक्ष ने यह तर्क दिए कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई यह वक्फ की संपत्ति है! राजस्व दस्तावेज भी दिए उपासना स्थल कानून में भी ऐसी याचिका विचार योग्य नहीं! 

हिंदू पक्ष के जवाबी तर्क: केस को लंबा खींचना चाहता है बचाव पक्ष! राजस्व रिकॉर्ड की मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं! औरंगजेब ने वक्फ किया! इसका कोई साक्ष्य नहीं दिया! 
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि ज्ञानवापी की पोषणीयता को लेकर उठ रहे सवाल का पटापेक्ष हो गया, न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं मां श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हो सकेगी और शिवलिंग के संबंध में सभी सवालों के जवाब भी कोर्ट के जरिए मिल सकेंगे दोनों ही पक्षों को धैर्य और संयम रखना चाहिए जो भी तर्क और साक्ष्य कोर्ट के सामने रखे जाएं! 
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि जिला अदालत का फैसला जन भावनाओं के अनुरूप है प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयास करते रहेंगे
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भगवान विश्वनाथ और मां श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है सभी लोगों को फैसले का सम्मान करना चाहिए
राम जन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील खारिज की है सबूतों के आधार पर जल्द ही काशी के मामले का भी समाधान हो जाएगा हिंदू पक्ष की ही जीत होगी! 

कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है! अयोध्या के संत फैसले से खुश हैं! वही मुस्लिम पक्ष के लोग इस फैसले से नाराजगी जता रहे हैं और इसे उपासना स्थल कानून 1991 की अनदेखी बता रहे हैं! हालांकि मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है! 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि अफसोस जनक है कि स्थानीय जिला न्यायाधीश ने उपासना स्थल कानून 1991 के अनदेखी कर याचिका को स्वीकार कर लिया है! सरकार को उपासना स्थल कानून 1991 को मजबूती से लागू करना चाहिए! 
तंजीम उलमा इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव एवं दरगाह आला हजरत से जुड़े मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद पर फैसला नामंजूर है! इस पर हमें मायूसी हुई है! फैसले के खिलाफ वह कोर्ट में अपील करेंगे! हालांकि इस मामले में दरगाह आला हजरत का आधिकारिक बयान नहीं आया है! 

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड महासचिव मौलाना याकूब अब्बास ने कहा कि बनारस के हिंदू मुस्लिम धर्म गुरुओं को बैठकर अदालत के बाहर कोई न कोई हल निकालना चाहिए! 

उधर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि धर्म स्थल एक्ट 1991 को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है! 
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कोर्ट के फैसले से अस्थिरता का माहौल शुरू होगा! इस मामले से हम उसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं जैसा बाबरी मस्जिद का मामला था! 
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि कोर्ट में सुनवाई तो होती ही रहती है! कोर्ट ने सुनवाई का फैसला किया है! इस पर एतराज नहीं होना चाहिए! हम हिंदुस्तान के वासी हैं! यहां का संविधान मानते हैं! जो भी निर्णय आएगा उसे भी मानेंगे! बाकी ऊपरी अदालत में जाने का भी रास्ता खुला है! 




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