बिहार के बाद बीजेपी अन्य राज्यों में भी सरकार गठन में नए चेहरों को सामने लाने का प्रयोग कर सकती


लखनऊः दबे पांव बीजेपी को चाहने वाले भी अब यह कहने लगे कि भाजपा के वरिष्ठ नेता हमेशा चुनाव जीतने की रणनीति बनाने में लगे रहते हैं। लोकसभा के साथ ही उपचुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव में छोटे से लगाकर बड़े से बड़ा नेता हो या फिर प्रधानमंत्री हमेशा चुनाव में ही व्यस्त रहते हैं। इनके पास जनता का काम करने का समय ही नहीं है। देश में बेरोजगारी चरम पर है। आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है। मूलभूत सुविधाओं में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, सबकुछ दर किनार है। सिर्फ चुनाव कैसे जीता जाए इस पर पार्टी का ज्यादा से ज्यादा जोर रहता है। 


बिहार के बाद बीजेपी अन्य राज्यों में भी  सरकार गठन में नए चेहरों को सामने लाने प्रयोग कर सकती है। बिहार में विधानसभा चुनाव-2020 में प्रधानमंत्री ने 12 रैलियों में अपना अमूल्य समय दिया है। साथ ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, योगी आदित्यनाथ व अन्य वरिष्ठ नेताओं ने ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं की। यहां तक इन रैलियों में कोविड़-19 की गाइड लाइनों का भी पूरी तरह से ध्यान नहीं रख गया।  कोरोना महामारी के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। बिहार विधानसभा चुनाव में योगी जी को जरूर समय मिल गया।


बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में मिली जीत के बाद अब सरकार गठन में नए चेहरों को सामने लाने का प्रयोग भाजपा अन्य राज्यों में भी बढ़ा सकती है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने संगठन की टीम के साथ इसकी शुरुआत कर दी है। अब उनकी अन्य राज्यों के संगठन प्रभारियों की टीम इस बदलाव की संभावना तलाशने में जुट गई है। भाजपा ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ही संगठन में युवा और नए चेहरों के साथ कई बदलाव करने की शुरुआत की थी। कई जगह उसने इस काम को किया भी है, लेकिन कुछ राज्यों में इसे मूर्त रूप नहीं दे पाई है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में संगठन में तो बदलाव किए हैं, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व नहीं बदला जा सका है। हालांकि, इन दोनों राज्यों की राजनीतिक स्थितियां अलग तरह की हैं।


सूत्रों के अनुसार पार्टी दक्षिण में अपने विस्तार को मजबूत करने के साथ कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा के विकल्प की तलाश में है। हालांकि वह जल्दबाजी नहीं करेगी, क्योंकि उसके लिए सरकार की स्थिरता भी जरूरी है। केंद्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और महासचिव सीटी रवि दक्षिण के राज्यों को सीधे तौर पर देख रहे हैं। निकट भविष्य में इन राज्यों में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हाल में विभिन्न राज्यों के लिए जिन केंद्रीय प्रभारियों की नियुक्ति की है वह खुद भी नए और युवा हैं। उनका दायित्व अपने-अपने राज्यों में जिला और प्रदेश स्तर पर नए और युवा नेताओं को उभारने का होगा, ताकि आने वाले आम चुनाव तक भाजपा के पास ऊर्जावान नेताओं की बड़ी टीम तैयार हो सके। सुशील कुमार मोदी की जगह नए नेतृत्व को लाया गया है। पार्टी के प्रमुख नेता ने कहा का इसका मतलब किसी नेता को हटाना नहीं है, बल्कि नई टीम के लिए जगह बनाना है। जो अनुभवी नेता हैं उनका दूसरी जगह प्रयोग में लाया जाना है। सूत्रों का कहना है कि सुशील मोदी को केंद्र में जगह मिल सकती है।

Post a Comment

please do not comment spam and link

और नया पुराने