लखनऊः बिहार विधानसभा चुनाव-2020 प्रचार के दौरान नीतीश कुमार ने स्वयं कहा था कि यह हमारा आखिरी चुनाव है। नतीजे आने के बाद से ही सरकार गठन को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। आज एनडीए विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को नेता चुना गया। नीतीश कुमार सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं सरकार गठन और कैबिनेट मिनिस्टर को लेकर भी एनडीए के भीतर चर्चा गरम है।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी-जेडीयू में मंत्रिमंडल में आनुपातिक भागीदारी को लेकर विचार-विमर्श हो रहा है। माना जा रहा है कि नीतीश मंत्रिमंडल में लगभग बीजेपी कोटे से 18-20 मंत्री बना सकते हैं। जबकि जेडीयू कोटे से 12-14 मंत्री बनाने की चर्चा हो रही है। साथ ही एक-एक मंत्री का पद हम और वीआईपी पार्टी के खाते में देने के लिए विचार हो रहा है। बीजेपी-जेडीयू के कुछ चेहरे तय मानें जा रहे हैं जिनमें संजय झा, नंद किशोर यादव, प्रेम कुमा, मंगल पांडेय, बीमा भारती, विजेंदर प्रसाद यादव का नाम लगभग फाइनल हो गया है। मंत्रिमंडल में युव चेहरो को भी मौका मिलने की संभावना है।
तेजस्वी यादव बना सकते हैं सरकार !
आज दौर में निज स्वार्थ के चलते कब कौन न पाला बदल दे कहा नहीं जा सकता है। कब कौन सी पार्टी खरीद-फरोख्त शुरू न कर दे इसका भी कोई ठिकाना नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में बहुतमत को लेकर गौर किया जाए कि 243 सीटों वाली विधानसभा में 122 का आंकड़ा बहुमत का है। यहां एनडी की 125 सीटे हैं। अर्थात बहुमत से दो-तीन सीटे ज्यादा है।
यह भी तय है कि 125 सीटे जीतने वाली एनडीए में सबको मंत्री बनाया नहीं जा सकता है, न सबको डिप्टी सीएम बन सकते हं। यहां जीते बहुत विधायकों में अन्दरखाने नाराजगी तो जरूर होगी। यह नाराजगी कोई न कोई नया गुल खिलाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। जबकि राजद महागठबंधन में 110 सीटे मिली हैं। यह जानना जरूरी था कि एनडीए में शामिल कुछ छोटे दल चुनाव से पहले राजद में हुआ करते थे।
राजद नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने दावा किया है कि बिहार में अभी भी तेजस्वी की सरकार बन सकती है। उन्होेंने कहा कि बिहार अपना ही स्वतः स्फूर्त प्लान ले आएगा और शायद जल्द ही। जय हिंद जय बिहार। राजद नेता का यह बयान उस समय आया है जब नीतीश सरकार गठन को लेकर प्रयास चल रहा है।
मनोज झा ने ट्वीट कर कहा कि जनता के फैसले और प्रशासन द्वारा जारी नतीजों के बीच के बड़े फासले को समझने के लिए ज़रूरी है कि जनादेश प्रबंधन की अदभुत कला को समझा जाये। ये कला सबको उपलब्ध नहीं है इसलिए बिहार के युवा, संविदा कर्मी, नियोजित शिक्षक स्तब्ध है।


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