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| आंदोलित किसान |
लखनऊः नए कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार के उधव ज्ञान को मानने के लिए किसान कतई तैयार नहीं है। आर पार करने की ठान लिया है। किसान अपनी अन्नदाइनी मां को गिरवी और बेचना नहीं चाहता है। यहां पर सरकार का उधव ज्ञान कामयाब नहीं हो सकात है। यदि सरकार यह मानकर चल रही है कि किसान न समझ है तो यह पूरी तरह मिथ्या साबित होता है। क्योंकि पिछली सरकार ने शिक्षा पर जो जोर दिया उसका परिणाम है कि आज किसान का बेटा भी डाॅक्टर इंजीनियर और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुका है। यह डिग्रीधारी बच्चें अपने किसान पिता को सारी जानकारी देते रहते हैं।
यह बात लगभग ठीक साबित होती है कि किसानों की उपज का सही मूल्य उनको आज भी नहीं मिल पा रहा है। किसान अपनी फसल छोटे व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर है। क्योंकि खरीद केंद्रों पर तरह-तरह के बहाने बनाए जाते हैं। कभी क्रय केंद्र पर बोरे का बहाना तो कभी फसल गीली और धूल का बहाना बना कर उनको मजबूर किया जाता है। किसानों को कई दिनों तक क्रय केंद्र पर टैªक्टर-टाली सहित रात गुजारनी पड़ती है। सरकार यदि कुछ करना चाहती थी तो सबसे पहले सभी किसानों का अनाज के साथ ही गन्ना खरीद के लिए कठोर नियम और जिम्मेदार कर्मचारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए थी। इससे बिचैलियों की दुकान लगभग बंद हो जाती। सभी सोसायटी में खाद बीज उपलब्ध कराना चाहिए था। जो किसान को फसल की बुवाई के समय पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पाती है।
आज अधिकांश किसान ऐसे हैं जिनको अपने बच्चों की शादी के लिए साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है। जो समय से वह चुकता नहीं कर पाते हैं। इसके बाद किसानों का शोषण शुरू हो जाता है। पिछली सरकारों की सार्थक प्रयासों के कारण आज किसानों के पास किसान के्रडिट कार्ड है। जिस पर अपनी जमीन रहन रखकर कर्ज लेता है। ज्यादातर किसान कर्ज इसलिए लेता है कि उसकी इतनी कमाई नहीं है कि वह अपने बच्चों की पढ़ाई और उनकी शादी अपने बलबूते कर सके। पिछली सरकारों ने इस बिकराल समस्या को देखते हुए कई बार किसानों का कर्ज माफी की शुरूआत कर उनकों कुछ राहत जरूर दी।गरीब किसान के बच्चों ही मिड डे मील का ताजा भोजन खाने के साथ ही पढ़ाई करता है। यदि किसी अधिकारी और के बच्चों को मिड डे मील का भोजन दिया जाए तो वह फेंक देगा खाएगा नहीं। क्योंकि यह इतना घटिया होता है जिसको गरीब किसान के भूखे बच्चे ही ख सकते हैं। जहां कुछ नहीं था इसमे भी पिछली सरकारों जो किया वह काफी था। इसमें भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूर थी। जिसको सरकार आज तक नहीं कर पाई है।
कानून तो बहुत सारे बने हैं उनको अमली जामा पहनाने के लिए कठोर मंशा की कमी है। यदि अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधि ठीक ढंग से अपना उत्तरदायित्व निभाएं तो रामराज्य आने से कोई रोक नहीं सकता है। नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलनकारी किसान जहां दिल्ली के सिंघु और टिकरी सीमा पर अपना डेरा जमाए हुए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश की सीमा पर भी भाकियू नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में हजारों किसान जुट गए हैं। हरियाणा के किसानों ने कई जगह सड़कों को जाम किया और दिल्ली सीमा के पास प्रदर्शन किया। पंजाब-हरियाणा और यूपी के हजारों किसान शनिवार को दिल्ली की तरफ बढ़े और दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा जमा लिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली कूच के लिए आंदोलनकारी किसानों से अपील की है कि वह आंदोलन खत्म करें, सरकार बातचीत के लिए तैयार है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को किसानों से आग्रह किया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील स्वीकार करें और अपने प्रदर्शन को तय स्थल पर ले जाएं ताकि उनकी समस्या का जल्द से जल्द समाधान ढूंढने का रास्ता निकला जस सके।
भारतीय किसान यूनियन (एकता.उगराहां) के नेता शिंगरा सिंह ने कहा कि हरियाणा के रोहतक जिले के मेहम में रात्रि विश्राम के बाद हमने सुबह फिर से दिल्ली की ओर कूच कर दिया है। उन्होंने बताया कि किसानों के एक अन्य समूह ने हरियाणा के जींद जिले के जुलाना में रात्रि विश्राम किया और उन्होंने भी दिल्ली की यात्रा शुरू कर दी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) के बैनर तले और भी किसान भी राजधानी आने के लिए पंजाब से हरियाणा की सीमा में दाखिल हो गए।
केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि हमारे किसानों का समूह ट्रैक्टर.ट्रॉली पर सवार होकर शंभू अंतरराज्यीय सीमा से जल्द हरियाणा में दाखिल होगा। सैकड़ों की संख्या में आंदोलनकारी किसान सुरक्षाकर्मियों के साथ तीखी झड़प और आंसूगैस के गोले और पानी की बौछार सहने के बाद उत्तरी दिल्ली के एक मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए पहुंच चुके हैं जबकि हजारों की संख्या में किसान अब भी दिल्ली की सीमा पर मौजूद किसान अभी यह फैसला नहीं लिया है कि वहीं प्रदर्शन करें या पुलिस द्वारा निर्धारित स्थल पर जाकर अपना विरोध दर्ज कराएं।
मोदीपुरम के टोल प्लाजा से दिल्ली के लिए भाकियू नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में रवाना हुआ किसानों का काफिला दोपहर में लगभग एक बजे परतापुर को पार कर गया। इसके मद्देनजर मेरठ यातायात पुलिस ने परतापुर में अन्य वाहनों को रोके रखा, जिससे थोड़े समय के लिए वहां पर जाम के हालात बन गए। इससे पहले सिवाया टोल प्लाजा पर स्थानीय मीडिया से बातचीत में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अन्नदाता के साथ लगातार अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा।

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