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| बर्बाद फसल को संभालने की कोशिश करते किसान |
कांग्रेस शासित पंजाब पहले हाल ही में बने केंद्रीय कृषि कानूनों खिलाफ विधेयक पारित कर चुका है। शनिवार को राजस्थान सरकार ने भी (निष्प्रभावी) बनाने वाले तीन विधेयक विधानसभा में पेश किए। राजस्थान के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कृषि उपज व वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण, राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020ए किसान (सशक्तीकरण व संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध व राजस्थान संशोधन विधेयक, 2020 सदन के पटल पर रखे।
इसके अलावा धारीवाल व कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कुछ और विधेयक सदन में पेश किए। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व अन्य नेताओं की याद में शोक रखा गया और सदन की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने कहाए भाजपा विधेयकों का विरोध करेगी और सोमवार को बहस के दौरान साबित कर देगी कि केंद्रीय कृषि कानून किसानों के हित में है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि चुनावों में किसानों की आय दोगुना करने की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉर्पोरेट कंपनियों के हितों में काम कर रहे हैं और किसान विरोधी कानून लेकर आए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गहलोत ने 20 अक्टूबर को कहा था कि कांग्रेस देश के अन्नदाता किसानों के पक्ष में खड़ी है और एनडीए सरकार द्वारा बनाए गए किसान विरोधी कानूनों का विरोध करती रहेगी। इन कानूनों के खिलाफ राजस्थान भी जल्द विधेयक पारित करेगा। जबकि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पहले ही विधेयक पारित कर चुकी है।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) राजस्थान संशोधन, विधेयक 2020 में सरकार ने कहा कि कृषि मंडी उपज समिति अधिनियम-1961 के विनियामक ढांचे के जरिये राज्य के किसानों व कृषि से जुडे़ लोगों की रक्षा उपायों को दोबारा स्थापित करने की दृष्टि से यह विधेयक लाई है। इसमें किसानों के उत्पीड़न पर सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यापारी किसानों का उत्पीड़न करता है तो उसे तीन से सात साल की सजा या जुर्माना से दंडित किया जाना चाहिए। यह जुर्माना पांच लाख से कम नहीं होगा।
केंद्रीय कानून में किसानों को उत्पीड़न से बचाने का कोई उपाय नहीं किया गया है। किसान (सशक्तीकरण व संरक्षण) मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 में किसानों के उत्पीड़न की स्थिति में संबद्ध व्यक्ति या कंपनी या कारपोरेट हाउस को तीन से सात साल की कैद या कम से कम पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि केंद्रीय कानूनों का विरोध कर मुख्यमंत्री गहलोत किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। एक ओर तो वह सहकारी संघवाद की बात करते हैं और दूसरी ओर केंद्र के कल्याणकारी कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक ला रहे हैं। हकीकत यह कि कोई भी राज्य सरकार केंद्रीय कानूनों के खिलाफ कानून नहीं ला सकती।

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