लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सबसे बड़ी जनहित योजना किसान कर्ज माफी को अपने घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया। इस बड़ी जनहित योजना से लगभग 70 फीसद जनसंख्या जो किसान है वह प्रभावित होती और सपा के पक्ष मे वोट करती। वैसे तो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने शासन काल में बड़े-बड़े कार्य किए जो जनता को प्रसंद भी आए। लोगों ने कहा भी अखिलेश यादव ने काफी कार्य किए हैं, फिर भी हारे। इसको लेकर न ही 2017 के बाद विचार किया और शायद अभी भी उस बिन्दु पर विचार नहीं करेंगे और न ही यह बात समझ में आयेगी। क्योंकि उनको लगता है कि हमने घोषणा पत्र में 300 यूनिट बिजली फ्री देने की बात कही है। आईटी सेक्टर में 22 लाख नौकरी देने की बात कही है। इसके साथ अन्य कई बड़े-बड़े वादे किये है और यह मान बैठे कि अब तो सपा सरकार पूर्ण बहुमत में आ जाएगी। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखाई दिया और न ही बहुमत हासिल कर पाएगी ऐसा एग्जिट पोल्स और आए हुए रूझानों से लगता है।
जबसे समाजवादी पार्टी बनी है तबसे मैनपुरी, इटावा छोड़कर अधिकाश शहरों में सपा कभी जीतने की कगार पर नहीं पहुंची। शहर में बीजेपी और कांग्रेस का वोट बैंक रहा है। सपा का वोट बैंक किसान था। जिसको सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले चुनाव 2012 में जीतने के बाद यह शर्त लगा दी थी कि जो किसान भूमि विकास बैंक से कर्ज लिया उनका कर्ज माफ होगा। इस गलत निर्णय के बाद लगभग सारा किसान योजना से बाहर हो गया था। साथ ही समाजवादी पार्टी ने जो किसानों के बीच विश्वास बनाया वह भी खो दिया था। जब एक बार विश्वासघात हो जाता है तो उसके बाद पुनः विश्वास कायम करने के लिए कई सालों तक मेहनत और संघर्ष पड़ता है। जब तक देश की 70 फीसद जनसंख्या को समाजवादी पार्टी विश्वास में नहीं ला पाएगी तब तक सत्ता से लगभग दूर रहना तय है। शहर का कुछ फीसद नवजवान सपा की भीड़ को तो बढ़ा रहा था लेकिन दूसरी तरफ 70 फीसद किसान नाराज था। उस पर बीजेपी सरकार का मुफ्त शरान चार चांद लगा रहा था।
शहर को 300 यूनिट बिजली फ्री देने की बात तो की लेकिन जनता इसको चुनावी वादा माना और विश्वास नहीं किया। नवजवानों को आईटी सेक्टर में 22 लाख नौकरी देने का वादा तो किया लेकिन उसको भी चुनावी वादा ही लोगों ने माना। दूसरी तरफ 70 फीसद किसान जो कर्ज में डूबा है, यहां तक आत्महत्या भी कर रहा है। इस समस्या को समाजवादी पार्टी ने मुददा नहीं बनाया। साथ ही कर्जमाफी जैसी योजना की कोई घोषणा भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में नहीं की है। जनता को सिर्फ पांच किलो राशन भा गया और बीजेपी को प्रचंड बहुत के लिए अपना मत दे दिया। यह अलग बात है कि योजना सिर्फ 31 मार्च तक ही है।
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