SP का परंपरागत वोट बैंक किसान था जो आज भी नाराज, 2012 में खोया था विश्वास

मुलायम सिंह यादव जय जवान, जय किसान, जय नवजवान में विश्वास करते रहे हैं।  मुलायम सिंह यादव धरती पुत्र अर्थात किसाने नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। नाम से मुलायम लेकिन फैसले लेने में कठोर रहे। अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए। यूपीए सरकार को न्यूक्लियर डील में समर्थन,अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला, रामगोपाल की बर्खास्तगी। 

सपा का परंपरागत वोट बैंक किसान आज भी नाराज, 2012 में खोया था विश्वास। सबसे पहले किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की थी। वादा पूरा किया। तब से किसान का एक बहुत बड़ा वर्ग समाजवादी पार्टी के पक्ष में हो गया और हमेशा सपा के साथ रहा।  2012 के चुनाव में पार्टी पूर्ण बहुमत में आई इसके बाद यह कहकर किसानों के विश्वास को तोड़ दिया गया कि जो लोग भूमि विकास बैंक से कर्ज लिया है उन्हीं का माफ होगा। इस ऐलान के बाद अधिकांश किसान योजना के बाहर हो गया। 2017 किसानों सपा की बात को जनसंख्या का 70 फीसद किसान बात नहीं माना और पार्टी को हार स्वाद चखना पड़ा। जो आज तक बरकरा है। यह तब तक बरकरार रहने की उम्मीद है जब किसानों में अपनी खोई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त नहीं जाती। सपा किसान वोट के लिए एटीएम था। जो अब वोट देने वाली मशीन अर्थात एटीएम किसान सपा कार्ड को स्वीकार नहीं कर रही है।

सपा संस्थापक, अध्यक्ष और संरक्षक  मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर सन् 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। मुलायम सिंह यादव को उन नेताओं में माना जाता है जो कब पासा पलट दें। आम आदमी के लिए इसको जानना बहुत ही कठिन था। सपा के संस्थापक अध्यक्ष बने । मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। मुलायम सिंह यादव 1960 में राजनीति का हिस्सा बने। 1967 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार इटावा की जसवंतनगर सीट से अपना पहला चुनाव जीता। इसके बाद 1974, 1977, 1985, 1992, 1993 और 1996 में 8 बार विधानसभा के सदस्य बने। अपातकाल में 19 माह तक वह जेल में भी रहे। इसी साल वो पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। मुलायम सिंह यादव 1989 में सीएम  बने 1996 में केंद्र की राजनीति में जाने के फैसला किया और केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी और वह रक्षा मंत्री बने।

मुलायम सिंह यादव पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की पार्टी जनता दल से नाता तोड़कर चंद्रशखर की पार्टी सजपा में शामिल हो गए थे। कुछ समय में ही श्री यादव का चंद शेखर से भी मोहभंग हो गया। सजपा अध्यक्ष चंद्र शेखर ने मुलायम सिंह यादव पर अपनी महत्वाकांक्षा के चलते धोखा देने का आरोप लगाया था। जबकि मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि चंद्र शेखर की कांग्रेस से बढ़ती निकटता हमें पसंद नहीं थी। आखिरकार मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी के नाम से अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। 

मुलायम सिंह यादव सपा के संस्थापक अध्यक्ष बने और जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बने। मोहन सिंह को पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया था। मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। वहीं अखिलेश यादव मार्च 2012 से मार्च 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2012 के चुनाव में सपा ने 224 सीटें हासिल कर एक तरफा पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था। सपा का मुख्य रूप से जनाधार पिछड़ी जातियां (ओबीसी) खासकर यादवों में ज्यादा है। मुस्लिम समुदाय का अच्छा समर्थन प्राप्त है। डॉ राम मनोहर लोहिया के समाजवाद को आदर्श मानने वाली सपा परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण है। मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव आदि नाम है जो यादव परिवार से ही आते हैं। 

इन सबके अलावा विधानसभा और पंचायत स्तर पर भी कई ऐसे नाम हैं जो यादव परिवार से रिश्ता रखते हैं। मध्य प्र्रदेश में भी सपा ने अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई है। 2003 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 7 सीटें प्राप्त हुई थी। उस समय सपा मध्यप्रदेश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थ थी। सपा मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र बिहार आदि राज्यों में भी चुनाव मैदान में उतर चुकी है लेकिन वहां अपेक्षित सफलता नहीं मिली। 16वीं लोकसभा में सपा के 5 सदस्य हैं।

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