PM Modi : वाद चाहे परिवारवाद हो वंशवाद हो क्षेत्रवाद या फिर राष्ट्रवाद के बिना मानव कल्पना अधूरी है


यहां पर सबसे पहले हम वाद शब्द और उसके महत्व को बतायेंगे कि वह कितना महत्वपूर्ण है। वाद शब्द और उस पर अमल करने के बगैर मानव कल्पना अधूरी है। हां वाद शब्द और इस पर असंवैधानिक तरीके से कार्य करना गलत है। अर्थात गलत को सही बताना। किसी के हक को मारकर अपने परिवार या फिर वंश को देना यह अन्याय है। यदि प्रधानमंत्री इस असंवैधानिक प्रक्रिया पर वार करें तो सही कहा जाएगा। लेकिन ऐसा प्रधानमंत्री कभी नहीं करते हैं। वह तो जब चुनाव आता है उस समय उनके संबोधन में वाद शब्द पूरी तरह से घुला मिला होता है। इसके बाहर कोई बात ही नहीं करते हैं। 

ऐसा नहीं है कि नेक राजनेता और व्यक्ति विशेष की बड़ाई कलयुग में नहीं होती है। जिस राजनेता ने अपने क्षे़त्र में अच्छा कार्य किया है वह चाहे जिस दल से हो या निर्दल हो जनता उसको जिताती चली आ रही है। जैसे रघुराज प्रताप राजा भैया, प्रमोद तिवारी आदि कई ऐसे नेता आज भी हैं जो अपने अच्छे कार्य के कारण जनता में अपनी लोकप्रियता बनाये हैं। इसी के साथ ही डिप्टी सीएम केशव मौर्या जी चुनाव हार गये हैं जबकि इसके पहले जनता ने उनको काफी मतों से जिताया था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंशवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना घर दुरुस्त करना जरूरी है। यह भी कहा कि सांसदों के बच्चों को टिकट न देना पाप है तो यह पाप मैंने किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाजपा में परिवारवाद के लिए कोई जगह नहीं है। अन्य दलों के परिवारवाद से लड़ने के लिए अपना घर दुरुस्त करना जरूरी है। भाजपा में भी वंशवाद के खिलाफ लड़ा जाएगा। यदि किसी का टिकट कटा है तो यह मेरी जिम्मेदारी है कि भाजपा सांसदों के बच्चों को टिकट न देना पाप है तो यह हां मैंने पाप किया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक को संबोधित कर कहा कि परिवारवादी पार्टियां न सिर्फ देश को खोखला कर रही हैं बल्कि जातिवाद को भी बढ़ावा दे रही हैं। चुनाव में लोग भाजपा के विचारों पर मोहर लगाई है। वह इसलिए कि हम वास्तव में परिवारवादी राजनीति के खिलाफ लड़ते रहे हैं।


 माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को यह मालूम होना चाहिए कि एक एक मिलकर ग्यारह होते हैं। रामचरितमानस में चौपाई है मनु शतरूपा जिनसे भै नर श्रष्टि अनूपा। अर्थात महा प्रलय के बाद सिर्फ मनु शतरूपा बचे थे उन्हीं से श्रष्टि की रचना हुई।  स्त्री पुरुष मिलकर अपने वंश और परिवार को बढ़ाने के लिए प्रयास करते हैं। साथ ही उम्मीद करते हैं कि हमारा वंश और परिवार गांव से लेकर जिले, प्रदेश और देश का नाम रोशन करेगा। इन्हीं वंश और परिवार से डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर इस दुनिया में आते हैं यदि यह परंपरा खत्म हो जाएगी तो मानाव का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इसके बाद संसार में कोई भी व्यक्ति कोई नेक कार्य नहीं करेगा क्योंकि उसको मालूम है कि यह सब हम किसके लिए करें। जिस प्रकार वर्षा के जल की एक-एक बूंद मिलकर सागर का निर्माण करती है उसी तरह स्त्री-पुरुष से एक-एक बच्चे के जन्म लेने के बाद परिवार और वंश का निर्माण होता है। यही परिवार और वंश आगे चलकर अच्छे देश का निर्माण करते हैं। 

यह अलग बात है इसमें भी कुछ अपवाद होते हैं इसके कारण कुछ बच्चे जो आगे चलकर हमारी सनातन परंपरा के खिलाफ कार्य करते हैं जो समाज के लिए विष बोने के समान होता है। जिस वंश और परिवार से ऐसे बच्चों आते हैं जो समाज को नई दिशा देते हैं और अच्छ कार्य करते हैं। यह वंशवाद और परिवारवाद हमारे देश के लिए अमृत के समान हैं। इन्हीं में से स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी, चंद्र शेखर आजाद, सरदार भगत सिंह और बिस्मिल्लाह खान के साथ अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों ने इस धरती पर जन्म लेकर देश का नाम रोशन किया है। यह सब किसी परिवार और वंश से ही आए हैं। यह कहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरी तरह निराधार है कि हम परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ हैं। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समझना चाहिए और विचार करना चाहिए कि जब वह अपनी मां को मिलने के लिए कैमरा लेकर जाते हैं तो वह भी एक परिवारवाद और वंशवाद है। 

क्या कोई बच्चा या माता-पिता अपने परिवार या वंश को छोड़ सकता है। यदि कोई बच्चा योग्य है वह चाहे नेताओं का हो या अधिकारियों का हो या फिर किसी गरीब परिवार और वंश से आता हो उसको नेक कार्य के लिए कोई भी रोक नहीं सकता है। यदि किसी में राजनेता बनने की क्षमता है तो वह हो जरूर बनेगा। कोई भी राजनीतिक दल या पार्टी हमारे सनातन परंपरा के अनुसार ही कार्य करती है। कई राजनेता मिलकर एक पार्टी का निर्माण करते हैं। यहां तक प्रधानमंत्री जी भी अकेले इतनी बड़ी विशाल भारतीय जनता पार्टी को नहीं चला सकते हैं। इसके लिए कई राजनेताओं की जरूरत होती है। 

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जो मर्जी आए वह बोले लेकिन जब चुनाव आता है तो सबसे पहले अपनी पार्टी के उपलब्धियों को गिनाते हैं और उसके लिए वोट मांगते हैं। साथ ही राष्ट्रवाद की बात करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को ज्ञात होना चाहिए कई परिवार मिलकर एक गांव का निर्माण करते हैं और कई गांव मिलकर एक कस्बे का निर्माण करते ह,ैं कई कस्बे मिलकर एक शहर का निर्माण करते हैं, कई शहर मिलकर एक प्रदेश का निर्माण करते हैं और कई प्रदेश मिलकर एक देश का निर्माण करते हैं तब जाकर एक मजबूत राष्ट्र बनता है। जिस दिन यह कड़ी टूट जाएगी उस दिन अच्छे राष्ट्र के निर्माण की कल्पना करना दूर की कौड़ी के समान ही होगा।

 यहां यह कहना जरूरी है कि परिवारवाद और वंश की एकता ही राष्ट्र की एकता होती है। यदि परिवार और वंशवाद आपस में टूट जाएंगे तो हमारा देश टुकड़ों में बट जाएगा। सभी लोग निज स्वार्थी हो जाएंगे, कोई भी व्यक्ति अपने माता-पिता के साथ ही अपने गांव शहर और देश को मानने से इंकार कर देगा। इसके बाद संपन्न देश हमारे देश की तरफ बुरी नजर से देखेंगे। यदि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी निस्वार्थ भाव से यह कहे कि कि हम पक्षपात नहीं करेंगे। यह बात तो समझ में आती है। इस पर हमला होना चाहिए। जिस दिन पक्षपात खत्म हो जाएगा उस दिन समाज में सुधारा आ जाएगा और अच्छे राष्ट्र के निर्माण की कल्पना पूर्ण हो जाएगी। लेकिन ऐसा करने के लिए शायद मानव प्राणियों में अभी तक बहुत ही कम लोग जन्म लिया होगा। यह तो मानव स्वभाव है कि वह अपने बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर के साथ ही अच्छा राजनेता बनाना चाहता है। 

इसमें वह पक्षपात भी करता है। यहां तक दूसरों के हक को मारने की गलती भी करता है। जो अन्याय है। यदि प्रधानमंत्री जी इस अन्याय के खिलाफ हैं तब तो बात समझ में आती है। यदि वह हो परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ हैं तो यह बात पूरी तरह निराधार है और समझ के परे है। इसको समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा। क्योंकि हम सब मानव प्राणी अपने परिवार और वंश कीे भलाई के लिए ही कार्य करते हैं।

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