आखिरकार नारी (Mothers & Sisters :माताओं और बहनों को बनाया जा रहा पैसा कमाने वाली मशीन, पुरुष हो रहे लाचार), इतना कार्य तो इलेक्ट्रानिक मशीनों से भी नहीं लिया जाता है। हमरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है, यदि आपके घर में माता-पिता नौकरी पेशा या फिर व्यवासियक हैं तो वह अपने बच्चों के लिए कितना समय दे रहे होंगे यह तो पीड़ित बच्चे ही जान और समझ सकते हैं। आज कलयुग में माताओं और बहनों को लोगों ने सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस कार्य को देखकर आज के जिम्मेदारों के साथ-साथ हम सब अपने आपको गौरवान्वित समझते हैं कि हमारी माताएं-बहने घर की चाहरदीवारी लांग कर समाज में पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। माताएं और बहनें पढ़-लिख कर पैसा कमाने के लिए हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। यह तो अच्छी बात है लेकिन दूसरी तरफ सबसे बड़ी बात जो है कि एक नारी से आखिरकार कितना काम लिया जाएगा।
नारी क्या हो गई वह तो पैसा कमाने वाली मशीन बन गई। जबकि हमारी परंपरा रही है की माताएं-बहने लक्ष्मी का रुप होती थी और घर के अंदर रहकर घर गृहस्ती के साथ ही जो अनाज और धन संपत्ति आती थी उसको संभालती थी। साथ ही आने वाली पीढ़ी को अपना अधिकांश समय देकर भरपूर ममता लूटाती थीं। वही बच्चा जब ममता की थाती लेकर बड़ा होता था तो आगे चलकर बलिष्ठ और गुनवान होता था। ममता में मिले संस्कार को जीवन में सैनिक के शस्त्र की भांति अपने पास रखता था।
आज पुरुष इतना लाचार और अपंग हो गया है कि वह सबकुछ माताओं और बहनों के कंधों पर डाल दिया है। कलयुग में लोक लाज को ताक पर रख दिया गया है। आज की भारतीय नारी अपनी सारी ऊर्जा पैसे कमाने में लगाएंगी तो फिर वह आने वाली पीढ़ी को कैसे शक्तिशाली बनाने के लिए समय कहां से लाएंगी। जन्म से लगभग 18 वर्ष का लंबा समय जो परवरिश, ममता और संस्कार देने का होता है, वह अमूल्य समय घर पर पल रहे बच्चों को देने के बजाए आफिस और कार्यालय में बीतता है। जब घर आतीं हैं तो इतना थक हार कर टूट जाती है कि आराम के शिवाय कुछ भी नहीं दिखता। माताओं के पास ममता, प्यार और संस्कार देने के लिए समय नहीं
बचा है।
अब तो वह समय आ गया है जब बच्चे के लालन-पालन के लिए किसी दासी की जरूरत पड़ने लगी है। इसीलिए कलयुग में दासी के हाथों पला, बढ़ा बच्चा अपने माता-पिता को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता है। क्योंकि जब बच्चे की परवरिश, ममता और संस्कार देने का समय होता है तब वह दासियों के हाथ में पल रहे होतें हैं। बच्चा अपने माता-पिता की ममता और प्यार के स्वाद को कभी नहीं चखा। जब माताओं की ममता से बच्चा दूर हो गया है तो वह पैसा कमाने वाली वृद्ध माता-पिता को जीवन के आखिरी पड़ाव में वृद्धा आश्रम में छोड़ आता है या फिर एक घर में रहते हुए भी बेटा और बहू अपने माता-पिता या फिर सास-ससुर को प्रताड़ित करते रहते हैं। यह प्रताड़ना कभी-कभी असहनीय हो जाती है जो यदा-कदा न्यायालय तक पहुंच जाती है। इसके बाद न्यायालय को बुजुर्ग माता-पिता को सम्मानित जिंदगी जीने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ता है।
पहले के समय में ऐसा नहीं होता था उस समय लोग अपने माता-पिता की सेवा करना देवी-देवताओं की सेवा से बड़ा मानते थे। ममता, प्यार और संस्कार की छाया में पले बढे़ बच्चों को मालूम था कि हमारे प्रथम गुरु माता-पिता ही हैं। मान्यता के अनुसार माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। ऐसे परिवारों के बुजुर्ग माता-पिता अपने जीवन के आखिर पड़ाव को सम्मान सहित जीते थे। भले उस समय धनाभाव हो लेकिन ममता, प्रेम और संस्कार की कोई कमी नही होती थी। बेटा और बहू कहती थी कि अब आप लोगों को कार्य करने की कोई जरूरत नहीं है। पति और पत्नी का प्यार जिंदगी भर युवा बना रहा था। वैवाहिक संबंध बहुत ही कम टूटते थे।
राज्यपाल आनंदी बेन पटल बुधवार को महिलाओं की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि वर्तमान युग महिला शक्ति का युग है। एक महिला परिवार में मां के साथ-साथ कई भूमिकाएं एक ही वक्त पर अदा कर रही हैं। यह उसका सामर्थ्य है कि वह घर बाहर हर मोर्चे पर अपना सर्वश्रेष्ठ दे पा रही हैं। आज जरूरत इस बात की है कि सफल महिलाओं से प्रेरणा लेते हुए हर महिला आर्थिक स्वावलंबन की चुनौती को स्वीकार करें। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सुशांत गोल्फ सिटी स्थित होटल सेंट्रम में आयोजित अमर उजाला वूमेन अचीवर्स अवार्ड समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी।
उन्होंने समाज सेवा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, शिक्षा, साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट भूमिका निभाने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन मनीष ने किया। सम्मानित होने वाले महिलाओं को बधाई देते हुए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि जरूरी है कि हर महिला को आर्थिक रूप से सशक्त होने और स्वावलंबी बनने का अवसर मिलना चाहिए। महिलाओं की प्रतिष्ठा व बराबरी के दर्जे में कोई कमी नहीं आनी चाहिए, क्योंकि वह परिवार में विशिष्ट भूमिका अदा कर रहे हैं।
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